देश की खबरें | प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की कमी से भारत में जलवायु कार्रवाई धीमी : सरकार ने यूएनएफसीसीसी को बताया

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नयी दिल्ली, दो जनवरी विकसित देशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की चिंताजनक कमी ने भारत को घरेलू संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर रहने को मजबूर किया है, जिससे महत्वपूर्ण जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के उसके प्रयास धीमे हो गए हैं।

सरकार ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यालय को दी जाने वाली द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर) में यह बात कही है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को 30 दिसंबर को प्रस्तुत अपनी चौथी बीयूआर में भारत ने कहा कि वादा की गई प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता के अभाव में, उसे इन समाधानों को स्वतंत्र रूप से विकसित करने के लिए अन्य आवश्यक जरूरतों से संसाधनों को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

भारत ने पिछले वर्ष नवंबर में अजरबैजान के बाकू में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भी यह मामला उठाया था तथा विकसित देशों से आग्रह किया था कि वे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में बाधाओं को दूर करें ताकि विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई में अवरोध न आये।

बीयूआर रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘निम्न-कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा देने के मद्देनजर भारत की जलवायु रणनीति प्रमुख क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर जोर देती है, जिनमें सौर, पवन, जैव ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और जलवायु-अनुकूल कृषि शामिल है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘पर्याप्त राष्ट्रीय प्रयासों और निवेशों के बावजूद, धीमी अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जैसी बाधाएं इन प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने में बाधा डालती हैं।’’

विकासशील देशों द्वारा यूएनएफसीसीसी को हर दो साल में द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन, जलवायु कार्रवाई की प्रगति तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए सहायता की आवश्यकताओं के बारे में अद्यतन जानकारी दी जाती है।

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