चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को यह बयान शंघाई कम्यूनीक की 50वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। इस पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की 1972 की चीन की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हुए थे।
राष्ट्रपति की इस यात्रा के सात वर्ष पश्चात अमेरिका और चीन के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे, इसके आधार पर अमेरिका ने ताइवान के साथ औपचारिक संबंध समाप्त कर दिए थे। चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और उसका कहना है कि इस पर नियंत्रण के लिए अगर बल का इस्तेमाल करना पड़े, तो वह इससे गुरेज नहीं करेगा।
वांग ने अमेरिका से संबंधों को पटरी पर लाने के लिए ‘‘उचित और व्यावहारिक चीन नीति बहाल करने’’ की अपील की। उन्होंने चीन की वह शिकायत भी दोहराई कि अमेरिका अपनी प्रतिबद्धताओं को बरकरार नहीं रख रहा है।
उन्होंने कहा कि पक्षों को संबंधों की समीक्षा ‘‘व्यापक परिदृश्य में, अधिक समग्र रूख के साथ, मतभेदों के बजाए सहयोगात्मक, एकांत के बजाए खुलापन और अलग करने के बजाए जोड़ने’’ आदि के आधार पर करनी चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि ,‘‘ अमेरिका को चीन को विकास में प्रतिद्वंद्वी के बजाए साझेदार के तौर पर देखना चाहिए।’’
गौरतलब है कि 1979 में ताइवान के साथ संबंध समाप्त करने के दौरान अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पारित किया जिसमें यह आश्वासन दिया गया था कि अमेरिका सुनिश्चित करेगा कि ताइवान अपनी रक्षा खुद कर सके और द्वीप के समक्ष किसी भी खतरे का सामना कर सके।
ताइवान का मुद्दा दोनों देशों के बीच तनाव के मुख्य मुद्दों में से एक है।
शनिवार को चीन के रक्षा मंत्रालय ने ताइवान जलडमरू मध्य से निर्देशित मिसाइल विध्वंसक ‘‘ यूएसएस राल्फ जॉनसन’’ के गुजरने पर आपत्ति जताई थी।
एपी
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