बिहार पुलिस एक जुलाई से नये आपराधिक कानून लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार

बिहार पुलिस और राज्य सरकार की अन्य संबंधित शाखाओं ने एक जुलाई को पूरे देश में प्रभावी होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

Bihar Police | Facebook

पटना, 30 जून : बिहार पुलिस और राज्य सरकार की अन्य संबंधित शाखाओं ने एक जुलाई को पूरे देश में प्रभावी होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. तीन नये कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले साल अगस्त में संसद में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किए थे, जो मौजूदा भारतीय अपराध संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.

नए आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं को उजागर करने के लिए एक जुलाई को राज्य भर के प्रत्येक थाने में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें संबंधित थानाध्यक्ष स्थानीय नागरिकों को आमंत्रित कर उन्हें नये आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं की जानकारी देंगे. इस दौरान थाने में आमंत्रित नागरिकों को महिला पुलिस अधिकारी विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित प्रमुख प्रावधानों से अवगत कराएंगी. बिहार पुलिस ने नये आपराधिक कानून के अंतर्गत किये गये बड़े बदलाव के संबंध में थानों को एक पुस्तिका उपलब्ध कराई है, जिसे थानाध्यक्ष आमंत्रित नागरिकों को भी उपलब्ध कराएंगे. बिहार पुलिस द्वारा शनिवार शाम जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘नयी प्रणाली का सफल कार्यान्वयन और निर्बाध परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक तैयारी की गई है.’’ यह भी पढ़ें : Akola Shocker: कूलर का शॉक लगने से 3 साल के मासूम की मौत, अकोला जिले के पिंजर गांव की घटना

बयान में बताया गया है कि राज्य के 25,000 पुलिस अधिकारियों को नये आपराधिक कानून, विधि विज्ञान एवं डिजिटल पुलिसिंग को लेकर हाल में प्रशिक्षण दिया गया था. राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पुलिस के अलावा, राज्य भर के जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को भी नए आपराधिक कानूनों के बारे में प्रशिक्षित किया गया है. करीब 1,430 थानाध्यक्षों को एक जुलाई को अपने संबंधित थानों में स्थानीय लोगों और पुलिस के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया है.’’ बयान में कहा गया है कि नए आपराधिक कानूनों को लेकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने के अलावा पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और विशिष्ट ऐप भी विकसित किए गए हैं जिससे उनके लिए पिछले कानून और नए कानून (दोनों की तुलना) को समझना आसान होगा.

पुलिस मुख्यालय ने नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन से संबंधित त्वरित जानकारी प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लैपटॉप और स्मार्ट फोन भी प्रदान किए हैं. बयान में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने भी नए आपराधिक कानूनों संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया. बिहार के गृह विभाग द्वारा 26 जून को जारी एक अन्य पत्र में कहा गया है, ‘‘अभियोजन निदेशालय के सभी अभियोजकों को नए लैपटॉप खरीदने के लिए 60-60 हजार रुपए स्वीकृत किए गए हैं, ताकि वे नए कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों और लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें. केवल उन अभियोजन अधिकारियों को राशि स्वीकृत नहीं की गई है, जिनकी सेवानिवृत्ति अगले पांच वर्षों में होनी है.’’

बयान के अनुसार, राज्य के सभी थाने अब अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणालियों (सीसीटीएनएस) से जुड़ गये हैं. अब एक जुलाई से ऑनलाइन भी प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकेंगी. अपराध स्थलों पर साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग, तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी के लिए एक ऐप विकसित किया गया है. सभी जिला पुलिस के लिए मोबाइल फोरेंसिक वैन और योग्य कर्मचारियों की पर्याप्त मंजूरी के साथ राज्य की फोरेंसिक क्षमताओं को भी बढ़ाया गया है. बिहार पुलिस (यातायात) के अपर महानिदेशक सुधांशु कुमार ने पीटीआई- से कहा, ‘‘राज्य में यातायात पुलिस को भी दुर्घटना के मामलों से निपटने और वसूली की प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया गया है.’’

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