देश की खबरें | असम: सौ साल पुराने पेड़ों को काटने की योजना पर राज्य सरकार को नोटिस

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. गोहाटी उच्च न्यायालय ने एक फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर रास्ता तैयार करने के लिए करीब सौ साल पुराने दर्जनों पेड़ों को काटने की योजना पर मंगलवार को असम सरकार को नोटिस जारी किया।

गुवाहाटी, पांच नवंबर गोहाटी उच्च न्यायालय ने एक फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर रास्ता तैयार करने के लिए करीब सौ साल पुराने दर्जनों पेड़ों को काटने की योजना पर मंगलवार को असम सरकार को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति एन उन्नी कृष्णन नायर की पीठ ने महेश डेका, चंदन कुमार बोरगोहेन और जयंत गोगोई द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 11 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा।

न्यायमूर्ति बिश्नोई ने कहा कि अदालत यह जानना चाहती है कि क्या राज्य सरकार या किसी एजेंसी ने उन पेड़ों की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाया है, जिन्हें अधिकारियों ने काटने के लिए चिह्नित किया है।

सरकार 852.68 करोड़ रुपये की लागत से दिघालीपुखुरी तालाब से नूनमती तक शहर में सबसे लंबे 5.05 किलोमीटर लंबे चार लेन वाले फ्लाईओवर का निर्माण कर रही है।

इस फ्लाईओवर को 2026 तक चालू किया जाना है। प्रमुख हस्तियों, कलाकारों, विद्यार्थियों और निवासियों ने भाजपा नीत सरकार की तालाब के किनारे लगभग 25 पेड़ों को काटने की योजना की आलोचना की है और इसके खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं।

इन पेड़ों में से कुछ 200 साल पुराने हैं।

न्यायमूर्ति बिश्नोई ने कहा, “जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे को देखते हुए हम प्रतिवादियों को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं।”

महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने नोटिस जारी करने का विरोध किया और कहा, “यह याचिका सिर्फ प्रचार का तरीका है और कुछ नहीं। यह मुद्दा पहले ही शांत हो चुका है और अगर नोटिस जारी किया जाता है तो मीडिया में एक अलग तरह की चर्चा शुरू होगी।”

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कमल नयन चौधरी ने दावा किया कि फ्लाईओवर के निर्माण और पेड़ों को काटने की योजना के लिए किसी विशेषज्ञ की राय नहीं ली गई।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में सरकार को लोगों की बात सुननी चाहिए। अधिकारी मनमाने ढंग से फैसला नहीं कर सकते और उन्हें हमारी आवाज सुननी चाहिए। क्या सिर्फ इसलिए कि कोई दिसपुर के ग्लासहाउस में बैठा है, इसका मतलब यह है कि वह किसी की बात नहीं सुनेगा?”

पीठ ने सभी दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई 13 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

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