देश की खबरें | बढ़ते प्रदूषण के बीच एम्स विशेषज्ञों ने दिल्लीवासियों को विटामिन डी के स्तर पर ध्यान देने की सलाह दी

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नयी दिल्ली, 27 नवंबर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि शहर में वायु प्रदूषण के बीच शरीर में विटामिन डी के स्तर को बनाकर रखें।

उन्होंने धुंध के बीच धरती पर धूप पर्याप्त मात्रा में नहीं आने के मद्देनजर यह सलाह दी है। सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत होता है।

एम्स के अंत: स्राविकी और चयापचय विभाग में प्रोफेसर डॉ रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि सभी आयु वर्ग के लोग अपने चिकित्सकों की सलाह के अनुसार सर्दियों के दौरान विटामिन डी लेने पर विचार कर सकते हैं और यदि कोलेकैल्सीफेरॉल की 60,000 आईयू जैसी मात्रा हो तो शरीर में विटामिन डी का स्तर जाने बिना इसे लिया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘कैल्सीट्रियोल जैसे सक्रिय प्रारूप नहीं लिए जाने चाहिए क्योंकि ये किडनी के रोगों में उपचार के लिए होते हैं। कोलकैल्सिफेरोल अच्छा और सबसे अधिक किफायती है। यह बिना विषाक्तता के नियंत्रित तरीके से शरीर में सक्रिय रूप में परिवर्तित हो जाता है। विटामिन का अनावश्यक सेवन हृदय संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।’’

गोस्वामी ने कहा कि विभाग के अध्ययन में घर से बाहर जाकर काम करने वाले दिल्लीवासियों में विटामिन डी का स्तर सामान्य पाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘फेरीवाले या सड़क किनारे सामान बेचने वाले, पेट्रोल पंप के कर्मचारी, ऑटो रिक्शा चालक, यातायात पुलिस कर्मी और माली जैसे बाहर रहकर काम करने वाले लोगों में विटामिन डी की स्थिति का आकलन करने पर पाया गया कि बिना किसी पूरक के सुबह 10 बजे से अपराह्न 2 बजे तक पर्याप्त धूप में रहने से उनमें विटामिन डी का स्तर लगभग 20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर पाया गया।’’

विशेषज्ञ ने कहा कि अंदर रहकर काम करने वाले लोगों में बाहरी पूरक के बिना विटामिन डी की कमी पाई गई।

अंत: स्राविकी और चयापचय विभाग की ही शोधार्थी डॉ सोमा साहा ने कहा कि निर्माण श्रमिकों में विटामिन डी की कमी नहीं होना अनिवार्य रूप से लंबे समय तक सूरज की रोशनी में रहने से संबंधित है।

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