जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में मजबूती से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख तथा किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने से देश के बाजारों में सोमवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों के दाम पिछले बंद भाव के मुकाबले मजबूत बंद हुए। लेकिन मौजूदा सुधार के बावजूद सरसों, मूंगफली, सोयाबीन की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर हो रही है।

नयी दिल्ली, 20 मई विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख तथा किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने से देश के बाजारों में सोमवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों के दाम पिछले बंद भाव के मुकाबले मजबूत बंद हुए। लेकिन मौजूदा सुधार के बावजूद सरसों, मूंगफली, सोयाबीन की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर हो रही है।

शिकॉगो एक्सचेंज में 2-2.5 प्रतिशत की मजबूती है जबकि मलेशिया एक्सचेंज भी बढ़त में चल रहा है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों के दाम मजबूत होने से देश के बाजारों में तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती है। लेकिन इस मजबूती के बावजूद देशी सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी एमएसपी से कम दाम पर बिकना जारी है। सरसों और सोयाबीन एमएसपी से 2-3 प्रतिशत नीचे, सूरजमुखी एमएसपी से 30-35 प्रतिशत नीचे और मूंगफली एमएसपी से 5-10 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रही है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले 25 साल से तेल-तिलहन के दामों में बढ़ोतरी को लेकर लोगों को चिंता व्यक्त करते देखा गया है जबकि हकीकत यह है कि बाकी जिसों के मुकाबले तेल-तिलहन कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हुई है। तेल-तिलहन की प्रति व्यक्ति खपत भी अन्य खाद्य वस्तुओं के मुकाबले काफी कम है। इन सब कारणाों से अब जो स्थिति बनकर तैयार हुई है वह आने वाले दिनों में दिक्कतें पैदा कर सकती है। जो विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंता जताते रहे हैं उन्हें एक प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ना चाहिये कि देश में इतने प्रयासों के बावजूद तिलहन उत्पादन क्यों नहीं बढ़ा है और खाद्य तेलों का आयात क्यों बढ़ता ही जा रहा है। क्या उनकी चिंता खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने को लेकर थी? आगे अगर खाद्य तेलों के मामले में कोई दिक्कत आती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन सा संगठन लेगा?

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,850-5,900 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,100-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,215-2,515 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,860-1,960 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,860-1,975 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,870-4,890 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,670-4,790 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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