देश की खबरें | नक्सल विस्फोट में एक गांव ने खोया दो बेटों को, गांव में मातम

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बड़े गुडरा गांव ने बुधवार को हुए नक्सली हमले में अपने दो बेटों को खोया है। इस हमले में शहीद जगदीश कोवासी और राजू करटम सरकारी नौकरी और बेहतर जिंदगी की तलाश में पुलिस में भर्ती हुए थे लेकिन एक विस्फोट ने उनके और उनके परिजनों का सपना तोड़ दिया और गांव में अब मातम पसरा हुआ है।

रायपुर, 27 अप्रैल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बड़े गुडरा गांव ने बुधवार को हुए नक्सली हमले में अपने दो बेटों को खोया है। इस हमले में शहीद जगदीश कोवासी और राजू करटम सरकारी नौकरी और बेहतर जिंदगी की तलाश में पुलिस में भर्ती हुए थे लेकिन एक विस्फोट ने उनके और उनके परिजनों का सपना तोड़ दिया और गांव में अब मातम पसरा हुआ है।

दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर इलाके में बुधवार को नक्सलियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट में मारे गए 10 पुलिसकर्मियों में कुआकोंडा थाना क्षेत्र के बड़े गुडरा गांव के निवासी गोपनीय सैनिक जगदीश कुमार कोवासी (24) और राजू राम करटम (25) भी शामिल हैं।

कोवासी के चचेरे भाई राकेश कोवासी ने बताया कि जगदीश कोवासी और करटम पिछले वर्ष 10 मार्च को एक ही दिन गोपनीय सैनिक के रूप में बल में शामिल हुए थे।

गोपनीय सैनिक संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) या वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा संविदा के आधार पर नियुक्त गुप्त सैनिक होते हैं। स्थानीय आदिवासी आबादी और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षाकर्मियों की सहायता करने तथा गुप्त सूचना देने के लिए गोपनीय सैनिक के तौर पर बल में शामिल किया गया है।

कोवासी ने बताया कि पहली बार गांव दो युवक पुलिस में शामिल हुए थे, लेकिन दुर्भाग्य से शामिल होने के एक साल बाद ही उनकी जान चली गई, अब गांव में निराशा का माहौल है।

राकेश ने जगदीश को याद करते हुए कहा, ''सोमवार को जगदीश गांव आया था और मुझसे मिला था। हम अगले साल उसकी शादी की योजना बना रहे थे और उसके लिए वधु की तलाश कर रहे थे। उसने कहा था कि उसे अगले साल सेवा में नियमित कर दिया जाएगा, जिसके बाद वह शादी कर लेगा।''

राकेश ने बताया, ‘‘जगदीश 12वीं कक्षा तक गांव के ही स्कूल में पढ़ा था और नौकरी करना चाहता था। वह और करटम एक दूसरे को जानते थे लेकिन घनिष्ठ मित्र नहीं थे। उन्होंने कहा कि दोनों परिवार गांव में अलग-अलग गलियों में रहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं पता कि दोनों ने पुलिस में शामिल होने का फैसला कैसे किया क्योंकि जो कोई भी बल में शामिल होना चाहता है, उसे क्षेत्र में नक्सलियों के प्रकोप का सामना करना पड़ता है।''

राकेश ने बताया कि जगदीश तीन भाइयों में दूसरा था। उसके माता-पिता गांव में रहते हैं।

उन्होंने बताया कि करटम शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है।

हमले में शहीद एक अन्य जवान के रिश्तेदार ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि बस्तर से नक्सलवाद को कैसे खत्म किया जाए, इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार दावा करती रहती है कि खतरा अपने अंतिम चरण में है लेकिन वे समय-समय पर इस तरह के हमले करते रहते हैं।

जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बुधवार को सुरक्षाकर्मियों के काफिले में शामिल एक वाहन को बारूदी सुरंग में विस्फोट कर ​उड़ा दिया था। इस घटना में पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 10 जवान और एक वाहन चालक की मौत हो गई।

घटना के एक दिन बाद आज सुबह दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान भेज दिया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस हमले में शहीद सुरक्षाबल के जवान जिला रिजर्व गार्ड (राज्य पुलिस की एक नक्सल विरोधी इकाई) के थे। शहीद जवानों में से आठ दंतेवाड़ा जिले के रहने वाले थे जबकि एक-एक पड़ोसी जिला सुकमा और बीजापुर जिले से थे।

बस्तर क्षेत्र के ज्यादातर युवाओं को डीआरजी में भर्ती किया गया है। यह दल नक्सलियों से लड़ने में माहिर माना जाता है। इस दल में कुछ आत्मसमर्पित नक्सली भी हैं।

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