देश की खबरें | सबसे गर्म वर्ष की राह पर 2023, सामने आएंगे और दुष्परिणाम: संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने यह भी चेतावनी दी है कि वर्ष 2023 का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस ऊपर है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने यह भी चेतावनी दी है कि वर्ष 2023 का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस ऊपर है।
डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालास ने कहा कि इस साल के आरंभ में अल नीनो की शुरुआत से अगले साल औसत तापमान पेरिस में निर्धारित 1.5-डिग्री लक्ष्य सीमा से अधिक हो सकती है। अल नीनो का आशय प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने से है।
तालास ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह व्यावहारिक रूप से निश्चित है कि आगामी चार वर्षों के दौरान हम 1.5 डिग्री तक पहुंच जाएंगे, कम से कम अस्थायी आधार पर और अगले दशक में हम कमोबेश वहां स्थायी रूप से मौजूद रहेंगे।’’
डब्ल्यूएमओ ने ये निष्कर्ष ऐसे वक्त जारी किए हैं, जब बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन सीओपी28 की शुरुआत हो रही है। इस साल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शहर दुबई में इसका आयोजन किया जा रहा है।
तालास ने ‘‘आने वाले हजारों वर्षों में’’ हिमनद के नुकसान और समुद्र के स्तर में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘हम तापमान में 2.5 से 3 डिग्री बढ़ोतरी की ओर बढ़ रहे हैं। इसका मतलब यह होगा कि हम जलवायु परिवर्तन के बड़े पैमाने पर अधिक दुष्परिणाम देखेंगे।’’
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि 2015 से 2023 तक के नौ साल सबसे गर्म रहे। इस वर्ष के लिए एजेंसी के निष्कर्ष अक्टूबर तक के हैं, लेकिन इसका कहना है कि पिछले दो महीने 2023 को रिकॉर्ड-गर्म वर्ष होने से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे।
तालास ने कहा कि फिर भी ‘‘आशा के कुछ संकेत’’ हैं, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और अधिक इलेक्ट्रिक कारों की ओर रुख शामिल है, जो वातावरण में उत्सर्जित होने वाले कार्बन की मात्रा को कम करने में मदद करती हैं।
सीओपी28 के प्रतिनिधियों के लिए अपने संदेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हमें तापमान को पेरिस सीमा तक सीमित करने में सक्षम होने के लिए कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की खपत को नाटकीय रूप से कम करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सौभाग्य से, चीजें हो रही हैं। इसके बावजूद पश्चिमी देशों में, अमीर देशों में, हम अभी भी तेल, पहले की तुलना में थोड़ा कम लेकिन कोयला और प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)