चुनाव आ गए हैं, और इस बार जब आप वोट डालने जाएं, तो यह जानना जरूरी है कि आपके द्वारा चुने गए नेता को कितनी सैलरी और भत्ते मिलते हैं.
आपके सांसद जी को हर महीने 1 लाख 40 हजार रुपए मिलते हैं.
इसमें शामिल हैं:
- फिक्स सैलरी: 50,000 रुपए
- निर्वाचन क्षेत्र भत्ता: 45,000 रुपए
- कार्यालय भत्ता: 45,000 रुपए
इसके अलावा, उन्हें कई भत्ते भी मिलते हैं:
- वार्षिक भत्ता: 3 लाख 80 हजार रुपए
- हवाई यात्रा भत्ता: 4 लाख 8 हजार रुपए
- रेल यात्रा भत्ता: 5 हजार रुपए
- पानी भत्ता: 4 हजार रुपए
- बिजली भत्ता: 4 लाख रुपए
इस हिसाब से एक सांसद को सैलरी के अलावा करीब 1 लाख 51 हजार 833 रुपए प्रतिमाह यानी 18 लाख 22 हजार रुपए सालाना भत्ता दिया जाता है. अगर फिक्स्ड सैलरी और भत्ते को जोड़ें तो एक सांसद एक महीने में 2,91,833 रुपए वेतन पाता है. यानी देश को एक सांसद सालाना 35 लाख रुपए का पड़ता है.
उनके परिवार को भी कई सुविधाएं मिलती हैं:
क्या आप जानते हैं कि,
हमारे देश में चुनावी बिगुल बज चुका हैं। इसलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे कि हमारे द्वारा चुने गये नेताजी (सांसद) की वैध्य रूप से वार्षिक कमाई कितनी हैं? उन्हें प्रतिमाह देश विकास के पुनीत कार्यों को करने हेतु कितना वेतन मिलता हैं? इस…
— NCIB Headquarters (@NCIBHQ) April 3, 2024
- पत्नी या पार्टनर के लिए 34 फ्री हवाई यात्रा
- अनलिमिटेड ट्रेन यात्रा
- संसद सत्र के दौरान घर से दिल्ली तक 8 हवाई यात्रा
सांसदों को 50 हजार यूनिट फ्री बिजली, 1 लाख 70 हजार फ्री कॉल्स, 40 लाख लीटर पानी, और रहने के लिए सरकारी बंगला भी मिलता है. (जिसमें सारे फर्नीचर और एयरकंडीशन, और इनका मेंटेनेंस भी फ्री) शामिल है. इन सबके अलावा उन्हें सुरक्षा गार्ड, जिंदगीभर पेंशन, जीवन बीमा और सरकारी गाड़ी भी मिलती है. जो सरकार की तरफ से सांसद को मुफ्त दिया जाता है.
आजादी के समय क्या था सांसदों का वेतन
1947 को देश को आजादी मिली. वह गरीबी का समय था. देश गरीबी के साथ तमाम चुनौतियों से जूझ रहा था. एक आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार आजादी के बाद अगले करीब डेढ़ दशकों तक सांसदों का वेतन 400 रुपये था.
साल 1964 में सांसदों के वेतन में इजाफा तो जरूर हुआ लेकिन ये सौ रुपये का था. तब वेतन बढ़कर 500 रुपये हो गया. 2006 में सांसदों को 16 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलने लगे. 2009 में वेतन सबसे ज्यादा बढ़ा और ये सीधे 50 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया. इसके बाद साल 2018 में इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये हर महीने किया गया.