पार्श्व गायक एसपी बालासुब्रमण्यम (S.P. Balasubrahmanyam) चले गए, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी हम सभी के कानों में गूंज रही है। तमिल, तेलुगु, मलयालम, हिन्दी और कन्नड़ समेत कई भारतीय भाषाओं में गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर देने वाले एसपी के लिए साल 2020 अंतिम वर्ष रहा. इसी साल की शुरुआत में वे ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) के हैदराबाद स्टेशन पर बतौर मेहमान आये थे. उनका यादगार इंटरव्यू आज भी उनकी यादों को ताज़ा कर देता है. इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने जीवन के कई राज़ खोले और बहुत बेहतरीन अंदाज़ में 100 वर्ष तक जीने की अपनी इच्छा को साझा किया.
27 जनवरी 2020 को ऑल इंडिया रेडियो को सभी के चहेते बालू ने अपने कॉलेज के दिनों की यादों को साझा किया और कहा, "पहली बार मैं ऑल इंडिया रेडियो पर तब आया था, जब तिरुपति आर्ट्स कॉलेज में पीयूसी का छात्र था. तब मैंने कुछ छात्रों के साथ मिल कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी थी. उस दौरान मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर संस्कृत में गीत गाये थे. त्यागाराजा के ऊपर नाट्य प्रस्तुति में मेरी भूमिका बहुत छोटी सी थी. तब मेरी आवाज़ लड़कियों से मिलती-जुलती थी. यह भी पढ़े: SP Balasubrahmanyam Funeral: मशहूर गायक एसपी बालासुब्रमण्यम को आज राजकीय सम्मान के साथ दी जाएगी विदाई, चेन्नई में होगा अंतिम संस्कार
लड़की का किरदार निभाया
अपनी यादों को ताज़ा करते हुए बालू ने बताया कि उस दौरान ऑल इंडिया रेडियो मद्रास के तेलुगू विंग के प्रमुख रामाकृष्ण राव थे. बालू ने आगे कहा, "जब मैं उनके सामने पहुंचा तब मैं बहुत छोटा था और बाकी छात्रों के साथ लाइन में खड़ा था.उन्होंने पूछा 'हीरोइन कौन है', उनको बताया गया था कि मैं अभिनेत्री की भूमिका अदा करूंगा. उन्होंने मुझे देखा और कहा, नहीं, ऑल इंडिया रेडियो में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि कोई लड़का लड़की का किरदार निभाये."
"हमारी टीम के लीडर ने उनसे कहा, आप एक बार इसे सुनिए तो सही. वे बोले, ठीक है तो सुनाओ.क्या तुम आर्टीफीशियल आवाज़ में बोलोगे? मैंने जवाब दिया- नहीं सर, और वो मुझे देख कर हैरान रह गए। फिर बोले, 'वाकई, तुम्हारी आवाज़ तो लड़कियों जैसी ही है,' और वो हँसने लगे. उन्होंने कहा कि अच्छा तो ठीक है, तुम ही हीरोइन का किरदार निभाना," बालू ने बताया. बालू ने कहा, "ऑल इंडिया रेडियो में वो मेरा पहला दिन था। आगे चलकर मैंने रेडियो पर कई सारे कार्यक्रमों में भाग लिया और कडपा स्टेशन से कई गीत रिकॉर्ड किए. वो गीत आज भी रेडियो पर सुनाए जाते हैं,
बालू ने आगे बताया, "मैंने जो कुछ भी किया पूरे दिल से किया। गीत गए, फिल्मों में अभियन किया और संगीत बनाया, मुझसे जो कुछ हो सकता था, मैंने किया और लोगों ने मेरे काम को हर बार सराहा। में खुद को कभी मंजिल नहीं मानता हूं। जिस दिन आप स्वयं को मंजिल मान लेते हैं, तब आपकी यात्रा वहीं थम जाती है। आज भी मेरा मकसद हर एक गाने के साथ न्याय करने का रहता है. जब मैं रात को सोने जाता हूं, तो सोचता हूं कि मैं अपने काम से संतुष्ट हूं या नहीं. "
'100 के ऊपर ईश्वर का दिया बोनस समझूंगा'
इतनी उम्र होने के बाद भी आवाज़ में इतनी ताज़गी कैसे है, इस सवाल पर बालू ने कहा, "लोग मुझसे कहते हैं कि इतने वर्ष हो गए आपको सुनते हुए, आपकी आवाज़ में कोई परिवर्तन नहीं आया. समय के सथ-साथ इसमें कुछ तो परिवर्तन आयेगा ही... मैं उनसे इतना ही कहता हूं कि यह ईश्वर की देन है। आज मैं 73 वर्ष का हूं और लोग मेरी आवाज़ को संगीत के अनुकूल मानते हैं.हम सभी जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति बहुत लंबे समय तक एक जैसा नहीं गा सकता है। जब लोग कहते हैं कि संगीत को छोड़ना भी एक बड़ी हिम्मत का काम है, तो मैं उनसे कहता हूं कि मैं संगीत को कभी नहीं छोड़ूंगा.
भरी हुई आवाज़ में बालू ने आगे कहा, "मेरा जीवन बहुत सुंदर तरह से आगे चल रहा है. मैं ईश्वर से और क्या मांग सकता हूं. ईश्वर ने मुझे शोहरत दी, ज्ञान दिया और जो कुछ भी दिया, बहुत दिया... एक दिन मैं चला जाउंगा."
इंटरव्यू ले रहे डीवी मोहन कृष्ण ने कहा, "ऐसा मत कहिये..."
बालू ने जवाब दिया, "अभी मैं कम से कम एक दशक और आपके बीच रहूंगा. मैं कह रहा हूं, मैं 100 वर्ष तक जीवित रहूंगा, बाकी आगे जो भी साल मिलेंगे, वो ईश्वर की ओर से मिलने वाला बोनस होगा. लेकिन हां जब तक जीवित रहूं, तब तक अच्छा गायक कहलाऊं, यही मेरी चाहत है. मैंने एक अच्छे मनुष्य के रूप में जीवन व्यतीत किया, मैं चाहूंगा कि लोग कहें, 'बालासुब्रमण्यम एक अच्छा इंसान था."