नयी दिल्ली, 28 सितंबर सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत कुछ मामलों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर काम कर रही है। इसके तहत अभियोजन चलाने को लेकर सीमा बढ़ाने के साथ समझौते वाले समाधान योग्य अपराधों के लिये दरों को कम करने पर विचार किया जा रहा है।
फिलहाल माल एवं सेवा कर चोरी या इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दुरुपयोग पांच करोड़ रुपये से अधिक होने पर गड़बड़ी करने वाली इकाई के खिलाफ अभियोजन चलाने का प्रावधान है।
वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (राजस्व) विवेक अग्रवाल ने उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम करदाताओं के लिये अभियोजन को अधिक सरल और अनुकूल बनाने को लेकर जीएसटी अधिनियम के तहत प्रावधान बनाने पर काम कर रहे हैं। केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत धारा 132 है जिसके अंतर्गत जीएसटी चोरी और उसे अवैध तरीके से प्राप्त करना अपराध की श्रेणी में आता है। हम अभियोजन चलाने के लिये सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत समझौते से समाधान योग्य अपराधों के लिये भी शुल्क कम किये जाएंगे। इससे करदाता कानूनी दाव-पेंच में जाने के बजाय अपने अपराधों को समझौते के जरिये निपटान के लिये प्रोत्साहित होंगे।
जीएसटी कानून के तहत समझौते वाले समाधान योग्य अपराधों के लिये राशि कर रकम का 50 प्रतिशत है। इसमें न्यूनतम राशि 10,000 रुपये है। वहीं अधिकतम राशि कर रकम की 150 प्रतिशत या 30,000 रुपये, जो भी अधिक हो, है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘जीएसटी में समझौते के तहत समाधान योग्य अपराधों को लेकर प्रावधान निषेधात्मक है। इसके अंतर्गत 50 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत तक शुल्क देने की जरूरत पड़ती है जिसका भुगतान करना असंभव है। यही कारण है कि जीएसटी के तहत इस प्रकार से मामले का समाधान शून्य है। इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है ताकि इसमें कम शुल्क देना हो और करदाताओं के लिये पहला या बेहतर विकल्प बने।’’
राजस्व विभाग के अधिकारी ने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों मदों में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि हुई है। इससे करदाताओं के लिये और अनुकूल सुधार का रास्ता साफ हुआ है।
जीएसटी कानून में प्रस्तावित बदलावों को माल एवं सेवा कर परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा।
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