माता-पिता नहीं चाहते थे कि बेटा खेलों में करियर बनाए. वह चाहते थे कि बेटा अपनी पढ़ाई पर फोकस करे, लेकिन बाइचुंग ने महज नौ साल की उम्र से ही गंगटोक में ताशी नामग्याल एकेडमी में दाखिला लेने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) से स्कॉलरशिप हासिल कर ली.
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