सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से श्रद्धालुओं को दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है. कहते हैं कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती द्वारा जिस नाद (आवाज) की जो गूंज उठी थी वैसी ही गूंंज घंटी बजाने पर भी आती है.
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