By Rajesh Srivastav
शाबान माह की 15वीं तारीख की रात को शब-ए-बारात कहते हैं. इसे ‘निस्फ शाबान’, ‘बारात की रात’, ‘चेरघ-ए-बारात कांदिली’ जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस रात अल्लाह अपने बंदों के सारे पापों को माफ कर देता है. कई हदीस में इस बात का उल्लेख है कि शब-ए-बारात की रात दुनिया में रहने वाले लोगों का इंसाफ होता है...
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