1857 की क्रांति की सबसे प्रज्वलित और उन्मुक्त चिंगारी थी रानी लक्ष्मीबाई, जिन्हें ‘झांसी की रानी’ नाम से भी जाना जाता है, रानी झांसी ने ब्रिटिश हुकूमत को स्पष्ट संदेश दिया था, कुछ भी हो जाए ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ यह केवल शब्द नहीं थे, बल्कि ब्रिटिश हुकूमत की धृष्टता के विरुद्ध एक नारी शक्ति के अदम्य आत्मसम्मान, साहस और स्वराज की रक्षा की प्रतिज्ञा थी.
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