आम धारणा है कि शत्रु घर के बाहर ही होते हैं, लेकिन आचार्य चाणक्य की सोच इससे कुछ अलग है. उनकी एक नीति के तहत शत्रु घर में भी हो सकते हैं, वह भी माता, पिता और पत्नी के रूप में.. चौंक गये ना! आइये जानते हैं, आचार्य चाणक्य घर के अहम सदस्यों को शत्रु क्यों कहना चाह रहे हैं..
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