By Rajesh Srivastav
भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने हेतु अंग्रेजों के दांत खट्टे करनेवाले प्रमुख क्रांतिकारियों में एक थे बटुकेश्वर दत्त. 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में बम फेंककर देश भर में सुर्खियों में आने वाले बटुकेश्वर दत्त को ताउम्र इस बात का मलाल था कि उन्हें अपने 'साथ जियेंगे साथ मरेंगे' की कसम खाने वाले क्रांतिकारी साथियों (भगत सिंह, सुखदेव) के साथ फांसी पर झूलने का सौभाग्य नहीं मिला.
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