दुष्प्रचार फैलाने वाले लोग जम्मू कश्मीर पर भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं: अमेरिका स्थित कश्मीरी संगठन
जम्मू-कश्मीर (Photo Credits : ANI)

एक शीर्ष कश्मीरी-अमेरिकी संगठन का कहना है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू कश्मीर में सशस्त्र हिंसा के लिए जमीन तैयार की थी. उसने बुधवार को आरोप लगाया कि दुष्प्रचार करने वाले लोगों का एक समूह इन प्रावधानों को निरस्त करने के बारे में गलत सूचनाएं और भ्रम फैला रहा है.

प्रभावशाली कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन (केएओ) ने कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बारे में गलत सूचना प्राप्त प्रेस और दुष्प्रचार करने वाले लोगों द्वारा काफी भ्रम, गलत सूचनाएं और डर फैलाया जा रहा है.’’

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कश्मीरी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिका स्थित संगठन ने कहा कि कश्मीर घाटी में रह रहे लोगों के लिए इंटरनेट और फोन लाइन बंद करने जैसे किसी भी तथाकथित अन्याय की निंदा करना मनुष्य का स्वभाव है लेकिन ‘‘पिछले 70 वर्षों से क्षेत्र के हम अल्पसंख्यकों’’ का भाग्य तय करने वाले इन प्रावधानों के असर को समझना भी समझदारी है.

उसने कहा कि अस्थायी अनुच्छेद 370 और 35ए सभी मूल निवासी कश्मीरी अल्पसंख्यकों सूफी मुस्लिम, शिया मुस्लिम, अहमदी मुस्लिम, दलितों, गुज्जरों, कश्मीरी पंडित के नाम से पहचाने जाने वाले कश्मीरी हिंदुओं, कश्मीरी सिख और बौद्धों के खिलाफ अत्यधिक भेदभावपूर्ण थे. केएओ ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 और 35ए ने कश्मीर में सशस्त्र हिंसा के लिए जमीन तैयार की.’’

उसने कहा कि घाटी में दशकों तक धमकी और उत्पीड़न का अभियान चला तथा ‘‘वहाबीवाद’’ के जरिए इस्लाम की अनैतिक व्याख्या के बढ़ते प्रभाव के साथ 80 के दशक में हालात और बिगड़ गए.

उसने कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवादी समूहों का वित्त पोषण कर, उन्हें हथियारों से लैस कर तथा प्रशिक्षण दे कर इस स्थिति का फायदा उठाने में कामयाब रहा. 19 जनवरी 1990 की रात को यह सब चरम पर पहुंच गया.

केओए ने कहा, ‘‘मस्जिदों के लाउडस्पीकरों के जरिए आतंकवादियों ने अल्पसंख्यकों के लिए नफरत भरे शब्द कहे. ‘धर्म परिवर्तन करो, जगह छोड़ो या मरो’ तथा ‘औरतों को घर पर छोड़ो और आदमियों को आतंकवाद के लिए भेजो’ लोकप्रिय नारे थे. इसके बाद कश्मीरी हिंदुओं के घरों पर पोस्टर चिपकाकर उन्हें घाटी से फौरन निकलने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई.’’

केओए ने दावा किया कि लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण सरकार मूक दर्शक बनी रही. उसने कहा, ‘‘हमें आतंकवाद की भयावहता सहने के लिए छोड़ दिया गया जिसमें हमारे परिवार के सदस्यों की हत्याएं और बलात्कार शामिल हैं. हमारे समुदाय के सदस्यों की नृशंस हत्याएं की गई, कई घर, कारोबार तथा मंदिर क्षतिग्रस्त कर दिए गए. हम अपने ही देश में शरणार्थी बन गए, कुछ को मलिन शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’

केओए ने कहा कि उसका मानना है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को हटाने से सभी को समान अवसर मिलेंगे और लद्दाख जैसे क्षेत्रों को विकास का मौका मिलेगा जिसे लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है. उसने कहा कि इन अनुच्छेदों को हटाने से घाटी में आतंकवाद को खत्म करने और महिलाओं को सशक्त करने में मदद मिलेगी.