पाकिस्तान में बेतहाशा महंगाई और रिकार्डतोड़ आर्थिक बदहाली की मार समाज के कई अन्य हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक किन्नरों पर पड़ी है. नौबत यहां तक आ गई है कि इनके लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है. किन्नरों का कहना है कि जब लोगों के पास नोट है ही नहीं तो वे हम पर उन्हें भला न्योछावर कैसे करें? किन्नर समुदाय का कहना है कि एक समय था जब उनके इलाकों में लोगों की भीड़ लगी रहती थी. लोग उन्हें कार्यक्रमों के लिए बुलाने आते थे. नौबत यहां तक आती थी कि उनके पास सभी के लिए समय नहीं होता था और लोगों को मायूस लौटना पड़ता था. आज हालत यह है कि उनके इलाके, उनकी महफिलें वीरान पड़ी हुई हैं.
कटरीना (29) नाम की एक किन्नर ने 'एक्सप्रेस न्यूज' से कहा, "वह भी एक वक्त था जब हमारे इलाके लोगों से गुलजार रहते थे. म्यूजिक पार्टियों की बुकिंग के लिए लोगों की हम लोगों के पास भीड़ लगी रहती थी। अब इक्का-दुक्का कार्यक्रम में अगर जाते भी हैं तो खाली हाथ ही लौटना पड%E0%A5%87+%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%B0+%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F+%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8 https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fworld%2Fpakistan-economic-crisis-eunuchs-food-problem-389984.html',900, 600)" title="Share on Whatsapp">