नॉर्ड स्ट्रीम केस में यूक्रेनी गोताखोर को पकड़ नहीं पाया जर्मनी

सितंबर 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन पर हुए हमले में भूराजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अब भी जारी हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

सितंबर 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन पर हुए हमले में भूराजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अब भी जारी हैं. रूस अब भी अमेरिका पर उंगली उठा रहा है. जर्मनी ने एक यूक्रेनी गोताखोर की गिरफ्तारी का वारंट निकाला है.नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन में हुए विस्फोट की जांच से जुड़े मामले में रूस ने जर्मनी से शिकायत की है. रूस का मानना है कि जर्मनी की जांच दोषियों की पहचान सार्वजनिक किए बिना ही खत्म हो जाएगी. रूसी समाचार एजेंसी आरआईए ने रूसी विदेश मंत्रालय के यूरोपीय विभाग के प्रमुख ओलेग यापकिन के हवाले से यह जानकारी दी है.

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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा है कि जर्मनी को उनके सभी सवालों के जवाब देने चाहिए. जर्मन विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने रूस की शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि वे रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं.

रूस ने फिर लिया अमेरिका का नाम

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यह भी दावा किया कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन पर हुए हमलों का आदेश अमेरिका ने दिया. लावरोव अजरबाइजान की यात्रा पर पहुंचे हैं. यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि इस तरह के आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए आदेश बिल्कुल ऊपर से दिया गया था. पश्चिम के लिए बेशक सबसे ऊपर वॉशिंगटन है."

पिछले हफ्ते खबर आई थी कि जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम पर हुए हमले में एक संदिग्ध की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. खबरों के मुताबिक, संदिग्ध यूक्रेन का रहने वाला है और गोताखोरी सिखाता है. आरोप है कि इस शख्स ने यूक्रेन के ही दो अन्य नागरिकों के साथ मिलकर पाइपलाइन पर हमला किया.

इस संदिग्ध के पोलैंड में होने की खबर थी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पोलिश अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्हें जर्मनी द्वारा जारी किया गया वारंट मिला, लेकिन इससे पहले कि वे संदिग्ध को पकड़ते, वह पोलैंड की सीमा से बाहर जा चुका था.

क्या है नॉर्ड स्ट्रीम परियोजना

इस नाम की दो पाइपलाइनें हैं, नॉर्ड स्ट्रीम 1 (एनएस1) और नॉर्ड स्ट्रीम 2 (एनएस2). इन्हें रूस के सरकारी नियंत्रण वाली ऊर्जा कंपनी गाजप्रोम ने बनाया था. गाजप्रोम की एनएस1 में 51 फीसदी हिस्सेदारी थी. इसमें जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड्स की भी हिस्सेदारी थी. एनएस2 का 100 फीसदी मालिकाना हक गाजप्रोम के पास है. हालांकि इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रिया की कंपनियों ने मिलकर निर्माण लागत का 50 फीसदी खर्च उठाया.

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एनएस1 रूस और पश्चिमी यूरोप के बीच बिछी सबसे बड़ी गैस पाइपलाइन है. इसने साल 2011 में काम करना शुरू किया. एनएस2 का काम सितंबर 2021 में पूरा हो गया, लेकिन फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कारण इससे गैस आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई.

एनएस2 जर्मनी के लिए बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना थी. यह उसे सीधे रूसी गैस आपूर्ति से जोड़ने वाली थी. ऐसे में अमेरिका, पोलैंड, बाल्टिक देशों और यूक्रेन समेत कई सहयोगियों की आलोचनाओं के बावजूद जर्मनी इस पाइपलाइन योजना के साथ खड़ा रहा. आलोचकों का यह भी कहना था कि यह पाइपलाइन दरअसल जर्मनी की नाकाम और अदूरदर्शी ऊर्जा नीति का एक प्रतीक है, जो बताता है कि जर्मनी किस कदर रूसी गैस पर निर्भर हो चला है.

कब हुआ नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला

26 सितंबर 2022 को तड़के एनएस2 में शुरुआती गैस लीक हुआ. खबर आई कि बाल्टिक सागर के नीचे हुए विस्फोटों ने पाइपलाइन को गंभीर नुकसान पहुंचाया है. स्वीडन ने भूकंपीय रिकॉर्ड के आधार पर बताया कि विस्फोट हुए हैं. डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडेरिक्सन ने कहा कि उनकी सरकार को इस घटनाक्रम के पीछे साजिश का अंदेशा है.

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यूरोपीय संघ के तत्कालीन विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने भी कहा,"ये घटनाएं महज संयोग नहीं हैं और हम सब पर असर डालती हैं. सभी उपलब्ध जानकारियां संकेत करती हैं कि ये लीक इरादतन की गई गतिविधि का नतीजा हैं."

शुरुआत से ही पश्चिमी देशों में कई जानकारों और नेताओं ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से घटना के पीछे रूस का हाथ होने का संदेह जताया. सितंबर 2022 में ही घटना के कुछ दिनों बाद पॉलिटिको मैगजीन ने जर्मन खुफिया विभाग के पूर्व प्रमुख गेरार्ड शिंडलर की एक जर्मन अखबार से हुई बातचीत के हवाले से उनका बयान यूं छापा, "नजर में आए बिना, बाल्टिक सागर में 80 मीटर (260 फीट) की गहराई पर गुप्त तरीके से पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने के लिए बारीक तकनीकी और संगठनात्मक क्षमताओं की जरूरत है, जो कि स्पष्ट रूप से किसी सरकार से जुड़े व्यक्तियों/संस्थाओं की ओर इशारा करती हैं. असल में इसे लेकर केवल रूसियों के बारे में सोचा जा सकता है, खासतौर पर इसलिए कि तोड़-फोड़ की इस गतिविधि से उसका सबसे ज्यादा फायदा है."

कई लोगों ने यह भी रेखांकित किया कि बड़े निवेश और व्यापारिक हितों के कारण नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने में रूस का फायदा नहीं दिखता. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अमेरिकी मिलीभगत, तो कई ने यूक्रेन का हाथ होने की भी शंका जताई. कई महीनों तक अपुष्ट खबरों के अलावा कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई.

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जांच का क्या हुआ

इस घटना की तीन जगहों पर जांच शुरू हुई- जर्मनी, स्वीडन और डेनमार्क. इसी साल फरवरी में स्वीडन ने जांच बंद करने की जानकारी दी. उसने कहा कि अब तक हुई पड़ताल से पता चला है कि यह केस उसके अधिकारक्षेत्र से बाहर है. स्वीडिश जांचकर्ताओं ने भी घटना के पीछे किसी सरकार की भूमिका की संभावना जताई, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों की पहचान नहीं हो पाई है. डेनमार्क ने भी दोषियों का नाम या ठोस पहचान बताए बिना जांच बंद कर दी.

जर्मन जांचकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने एक जहाज पर छापा मारा है. आशंका जताई गई कि पाइपलाइन उड़ाने में इस्तेमाल होने वाला विस्फोटक इसी जहाज से ले जाया गया था. रॉयटर्स के मुताबिक, यह नाव पोलैंड में रजिस्टर एक कंपनी के मार्फत जर्मनी में लीज पर ली गई थी. जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र को यह भी बताया कि प्रशिक्षित गोताखोरों के लिए 70 से 80 मीटर की गहराई पर जाकर पाइपलाइन से विस्फोटक लगाना मुमकिन है.

इसी जांच के क्रम में पिछले हफ्ते खबर आई कि जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम पर हुए हमले में एक संदिग्ध की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. इस संदिग्ध के पोलैंड में होने की खबर थी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पोलिश अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्हें जर्मनी द्वारा जारी किया गया वारंट मिला, लेकिन इससे पहले कि वे संदिग्ध को पकड़ते, वह पोलैंड की सीमा से बाहर जा चुका था.

जर्मन अखबार 'सुड डॉयचे साइटुंग' और अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने भी बीते हफ्ते खबर छापी कि घटना के पीछे यूक्रेनी गोतोखोरों की एक टीम का हाथ हो सकता है, जिन्हें शायद यूक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों का समर्थन हासिल था. 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने बिना नाम लिए चार वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारियों के हवाले से बताया कि यूक्रेन के चार पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पाइपलाइन उड़ाने की योजना का नेतृत्व कर रहे थे.

अखबार के मुताबिक, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शुरुआत में नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को उड़ाने की इस योजना को मंजूरी दी.

अखबार ने आगे बताया कि 'अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने जेलेंस्की को चेताते हुए इस योजना पर अमल ना करने को कहा. सीआईए के कहने पर जेलेंस्की ने हमला रोकने की नाकाम कोशिश की.' खबर के मुताबिक, दावा है कि संबंधित सैन्य अधिकारों ने हमला रोकने के जेलेंस्की के आदेश की अनदेखी की और योजना पर आगे बढ़े.

एसएम/आरएस (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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