एआई अच्छा या बुरा, दुनिया भर के नेता दावोस में कर रहे हैं बहस

इस साल दावोस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सबसे चर्चित विषय है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

इस साल दावोस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सबसे चर्चित विषय है. राजनीतिक और कारोबारी नेता दुनिया को मंत्रमुग्ध करने वाली इस तकनीक के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं.दावोस के गलियारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर रोमांच स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. यहां की ज्यादातर जगहें और इमारतें एआई की खूबियों को गिनाने वाले पोस्टरों से भरी हैं. यहां तक ​​कि प्रौद्योगिकी को समर्पित एक पूरा मंडप भी है, जिसे एआई हाउस कहा जा रहा है.

इस एआई हाउस में सबसे ज्यादा चहल-पहल है क्योंकि इस साल के विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में सबसे ज्यादा बैठकें यहीं हो रही हैं. यहां कारोबार जगत से जुड़े लीडर एआई के जोखिमों और इस तकनीक के कारण पैदा हो रहे मौकों पर बहस करते हैं. यह समझने की कोशिश की जा रही है कि तकनीक को प्रभावी ढंग से कैसे अपनाया जाए.

एआई के कारण स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में काफी संभावनाएं जगी हैं. लोगों को इनसे काफी उम्मीद है. हालांकि, उत्साह के बावजूद इस विषय पर बोलते वक्त ‘एआई अगर जिम्मेदारी से इस्तेमाल हो' या ‘लेकिन हमें सावधान रहना चाहिए' जैसी बातें जरूर जोड़ दी जाती हैं.

डब्ल्यूईएफ ने अपने वार्षिक जोखिम सर्वेक्षण में एआई-संचालित गलत सूचना और दुष्प्रचार को अगले दो वर्षों में सबसे बड़ा खतरा बताया है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस साल जब अमेरिका और भारत जैसे देशों में दो अरब से ज्यादा लोग चुनाव में हिस्सा लेंगे, तो ‘झूठी जानकारी और सामाजिक अशांति के बीच का संबंध केंद्र में होगा.'

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी दी है कि तकनीकी क्रांति, वैश्विक स्तर पर लगभग 40 फीसदी नौकरियों को प्रभावित करेगी. इसमें उच्च कौशल वाली नौकरियां भी शामिल हैं. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में नौकरियों के प्रभावित होने की मात्रा 60 फीसदी तक भी हो सकती है. हालांकि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को तात्कालिक रूप से एआई के कारण कम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

हालांकि आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि इनमें से कई देश बुनियादी ढांचे और कुशल कामगारों की कमी के कारण एआई के फायदों का दोहन करने के लिए संघर्ष करेंगे. इससे एआई के कारण आगे चलकर देशों के बीच असमानता बढ़ने का जोखिम बढ़ जाएगा.

आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना गियोरगियेवा ने डब्ल्यूईएफ की सालाना बैठक की शुरुआत में कहा, "बहुत हद तक संभावना है कि एआई, असमानता की स्थिति और बदतर कर देगा. यह ऐसी हैरान करने वाली स्थिति होगी, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. नीति बनाने वालों को चाहिए कि वे प्रौद्योगिकी के कारण सामाजिक तनाव को ज्यादा बढ़ने से रोकने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करें.”

एआई के साथ जोखिम भी बढ़ रहे हैं

एआई को लेकर जो सबसे बड़ी चिंताएं हैं, उनमें यह पक्ष भी है कि विभिन्न एआई मॉडल को ताकत देने वाले डेटा की गुणवत्ता क्या है. साथ ही, एक और गंभीर चिंता यह है कि किस तरह इस तकनीक ने अपेक्षाकृत कम लागत पर डीपफेक जैसी उच्च गुणवत्ता वाली फर्जी चीजों को बढ़ावा दिया है.

आलोचकों का कहना है कि जेनरिक एआई कंपनियां, चैटजीपीटी जैसे अपने बड़े भाषा मॉडल को मजबूती देने वाले डेटा के स्रोत के बारे में पारदर्शिता नहीं बरत रही हैं. इसके कारण बुनियादी डेटा की विश्वसनीयता पर चिंता पैदा हो रही है.

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर जेम्स लैंडे कहते हैं, "क्या उन्होंने 4chan से डेटा लिया था? या फिर क्या उन्होंने रेडिट के एक निश्चित हिस्से से डेटा लिया था? आप सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं.” 4chan, विमर्श से जुड़ी एक साइट है, जो उत्पीड़न हमलों के समन्वय के साथ-साथ अवैध और आपत्तिजनक सामग्री वितरित करने के लिए जानी जाती है.

लैंडे आगे कहते हैं, "अभी हम इतना ही जानते हैं कि डेटा खास तौर पर पश्चिमी नजरिये से आ रहे हैं. इस डेटा में आधारभूत सांस्कृतिक मूल्य, अन्य संस्कृतियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं. यह लगभग साम्राज्यवाद का ही एक रूप है.” इंसान और कंप्यूटर इंटरैक्शन के विशेषज्ञ लैंडे, एआई मॉडल के कारण पैदा हुए "ट्रिपल डी" खतरों की ओर इशारा करते हैं, मतलब डिसइन्फॉर्मेशन यानी दुष्प्रचार, डीप फेक और डिसक्रिमिनेशन (भेदभाव).

एआई का समर्थन

अपनी मौजूदा कमियों के बावजूद एआई को उद्योग के लिए एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. तकनीकी क्षेत्र के लोग इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि कैसे प्रौद्योगिकी ने उत्पादकता में बड़ी छलांग लगाई है. फ्रांसीसी विज्ञापन एजेंसी पब्लिसिस की डिजिटल शाखा 'पब्लिसिस सैपिएंट' के सीईओ निगेल वाज कहते हैं कि एआई के कारण सॉफ्टवेयर विकास में उत्पादकता लाभ 30-40 फीसदी तक बढ़ा है.

एक विमर्श के दौरान वाज ने कहा, "यह डेवलपर्स को सिर्फ कोडिंग पर ध्यान देने की जगह वास्तविक विचार पर ज्यादा फोकस करने की गुंजाइश दे रहा है.” विशेषज्ञ, एआई के कारण शिक्षा जैसे क्षेत्रों में होने वाले संभावित फायदों को भी रेखांकित करते हैं. उम्मीद है कि जिन बच्चों की स्कूल तक सीमित पहुंच है, उन्हें आगे चलकर इस तकनीक के कारण व्यक्तिगत ट्यूटर जैसी सहूलियत मिल पाए. इसी तरह स्वास्थ्य ढांचे में भी बेहतरी की उम्मीद है. एआई तो अभी ही मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद कर रही है.

खुद को तकनीकी आशावादी बताने वाली यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन भी इससे सहमत हैं. उन्होंने दावोस में कहा, "एआई अभूतपूर्व गति से उत्पादकता बढ़ा सकता है. यूरोप को अपना काम आगे बढ़ाना चाहिए और जिम्मेदारी से एआई इस्तेमाल करने का रास्ता दिखाना चाहिए. एआई मानव क्षमताओं को बढ़ाता है, उत्पादकता में सुधार करता है और समाज की सेवा करता है.”

एलेक्जेंड्रा मूसाविजादे 'एविडेंट' की सीईओ हैं. यह प्लेटफॉर्म बेंचमार्किंग में विशेषज्ञ है और बैंकिंग क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल पर नजर रखता है. मूसाविजादे का कहना है कि पिछले साल जेनरिक एआई का जो प्रचार देखा गया था, वह इस साल थोड़ा ठंडा हो सकता है क्योंकि कंपनियां प्रौद्योगिकी के वास्तविक व्यावहारिक उपयोग के मामलों और इसके उपयोग पर विनियमन के आसपास अनिश्चितता से जूझ रही हैं.

मूसाविजादे ने डीडब्ल्यू को बताया, "इस बात को लेकर काफी प्रचार और शोध किया जा रहा है कि जेनरेटिव एआई व्यवसायों के लिए क्या कर सकता है, लेकिन इसे लागू करना बेहद मुश्किल है. इस बात की स्पष्ट समझ है कि बड़े भाषा मॉडल क्या कर सकते हैं, लेकिन झिझक यह है कि क्या यह हमारे संगठनों के उपयोग के मामलों के लिए पर्याप्त विश्वसनीय है.”

जिम्मेदारी के साथ AI का इस्तेमाल कैसे करें?

दावोस में ज्यादातर चर्चा इस बात पर रही है कि जोखिमों को कम करते हुए किस तरह तकनीकी क्रांति से लाभ उठाया जाए. उदाहरण के लिए, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में डिजिटल परिवर्तन के विशेषज्ञ रामय्या कृष्णन का कहना है कि स्थानीय श्रम बाजारों के वास्तविक समय की यदि सही से निगरानी की जाए, तो नियोक्ताओं की बदलती जरूरतों को तुरंत पहचाना जा सकता है. ऐसा करके नौकरी छूटने के जोखिम को कम किया जा सकता है.

कृष्णन अमेरिकी वाणिज्य विभाग की नेशनल एआई सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं. वह कहते हैं, "ऐसी संभावना बहुत कम है कि एआई अनिवार्य रूप से किसी विशेष व्यवसाय में सभी कार्यों का विकल्प बनने जा रहा है.” वह कहते हैं कि बाजार में क्या चल रहा है, इसके बारे में स्थितिजन्य जागरूकता हासिल करने से श्रमिकों के कौशल में अंतर की पहचान करने में मदद मिलेगी. फिर कम हो रही नौकरियों का सामना करने के लिए उन्हें फिर से कुशल बनाया जा सकता है.

हालांकि जब गलत सूचना और दुष्प्रचार की बात आती है, तो कंपनियां उपयोगकर्ताओं को बेहतर जानकारी देने के प्रयास कर रही हैं. उदाहरण के लिए, गूगल ने SynthID बनाया है, जो वॉटरमार्किंग और एआई-जनित तस्वीरों की पहचान करने का एक उपकरण है. लेकिन मौजूदा समय में कोई उद्योग मानक नहीं है.

डीडब्ल्यू से बातचीत में कृष्णन कहते हैं, "जरूरत तो यह होनी चाहिए कि कोई भी एआई मॉडल जब सामग्री विकसित करता है, तो उसके साथ स्रोत स्पष्ट होना चाहिए और सामग्री के साथ-साथ एक उपकरण भी जारी करना चाहिए. इसके माध्यम से वॉटरमार्क या सामग्री उत्पत्ति को प्रोसेस किया जा सके, ताकि जो व्यक्ति उस सामग्री का उपयोग कर रहा है वो ये जान सके कि यह सामग्री एआई जनित है या फिर वास्तविक है.”

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