नई दिल्ली, 1 अक्टूबर: भारतीय पुरुष हॉकी टीम के अनुभवी फॉरवर्ड और स्ट्राइकर एसवी सुनील ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा की. अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित सुनील ने 2007 में एशिया कप से अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था. इस टूर्नामेंट को भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर जीता था. सुनील 2011 एशिया चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक और 2012 में इसी इवेंट में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. 32 वर्षीय खिलाड़ी ने राष्ट्रीय टीम के लिए 264 मैचों में 72 गोल किए. उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा सोशल मीडिया के माध्यम से की. सुनील ने ट्विटर पर बयान जारी कर कहा, "मेरा शरीर कहता है कि मैं इसे अभी भी कर सकता हूं, मेरा दिल कहता है कि इसके लिए जाओ, लेकिन मेरा मन कहता है, ब्रेक लेने का समय आ गया है. पहली बार भारतीय जर्सी पहनने के 14 साल से अधिक समय के बाद, मैंने अगले सप्ताह शुरू होने वाले राष्ट्रीय शिविर के लिए खुद को अनुपलब्ध रखने का फैसला किया है."
उन्होंने कहा, "मैं खुद के साथ ही सभी से झूठ बोलूंगा अगर मैं कहूं कि मैं खुश हूं. मेरा सपना था कि मैं ओलंपिक में टीम को पदक जिताने के लिए अपना योगदान दूं और आखिरकार ऐसा हुआ है. मेरे साथी खिलाड़ियों ने कांस्य पदक जीता जो विशेष एहसास है." सुनील ने कहा, "मैं खेल के छोटे प्रारूप में खेलने के लिए उपलब्ध रहूंगा और भारतीय हॉकी के साथ किसी भी क्षमता में शामिल रहूंगा, जैसा हॉकी इंडिया मुझसे चाहता है." उन्होंने 2016 और 2018 एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी में टीम को मिली ऐतिहासिक रजत पदक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोंबाम ने सुनील को उनके 13 साल से अधिक के अविश्वसनीय करियर और भारतीय हॉकी में उनके योगदान के लिए बधाई दी. निंगोंबाम ने कहा, "सुनील युवा हॉकी खिलाड़ियों की एक पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा रहे हैं. खेल और अनुशासन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बेजोड़ थी और उन्होंने भारतीय हॉकी को कुछ बहुत ही यादगार प्रदर्शन दिए हैं. हॉकी इंडिया की ओर से, मैं उन्हें शानदार करियर के लिए बधाई देता हूं. मैं उन्हें उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं."
इससे पहले, गुरूवार को रूपिंदर पाल सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा जो इस साल टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे, इन्होंने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा की थी.