‘श्रीराम’ भारतीयता के मूल में हैं. यह नाम केवल आस्था अथवा धर्म के दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि वे शौय, सभ्यता और आदर्श के शिखर पुरुष के रूप में भी देखे जाते हैं. फिर बात चाहे आदर्श राज्य की हो, आदर्श समाज की बात हो या फिर नैतिक संबंधों को मानने की बात हो.
...