हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. मान्यता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए उनकी जयंती को प्रदोष काल में मनाना उत्तम माना जाता है. कहा जाता है कि परशुराम अपनी माता-पिता की आज्ञाकारी संतान थे, फिर भी उन्होंने अपनी माता की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था.
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