⚡जिसने रति-क्रिया का सुख नहीं भोगा! उसका ना इस लोक में भला, ना परलोक में! जानें चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा?
By Rajesh Srivastav
‘मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है’, इस जीवन पाने के लिए जीव को अनगिनत योनि में जन्म लेकर कष्ट भोगने के बाद ही मनुष्य योनि में जन्म लेने का अवसर मिलता है. इस वाक्य को आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतियों में पारिभाषित किया है.