अपने पूरे जीवन में गरीबी से जूझते हुए, 86 वर्षीय चुहार खान (Chuhar Khan), एक प्रसिद्ध अलघोजा (एक युग्मित काष्ठ वाद्य यंत्र) कलाकार, ने अपनी अंतिम सांस तक इस मरती हुई कला को जीवित रखने की कोशिश की. शुक्रवार को उनकी जन्मस्थली संगरूर के छोटियां गांव में सांप के काटने से उनकी मौत हो गई. उस्ताद चुहर खान के नाम से प्रसिद्ध, वह उन कलाकारों में से थे, जिन्होंने 1947 के विभाजन के दौरान परिवार के सदस्यों से अलग होने का दर्द सहा और दुख को इस मधुर कला में बदल दिया.
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