महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया. महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे. महर्षि कश्यप के अनुसार, ‘दान, दया और कर्म-ये तीन सर्वश्रेष्ठ धर्म हैं और बिना दान सब कार्य व तप बेकार हैं.’ महर्षि कश्यप तामसिक प्रवृतियां त्यागकर अहिंसा, धर्म, परोपकारिता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा जैसी सात्विक प्रवृतियां अपनाने के लिए प्रेरित करते थे.
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