Mangal Pandey Birth anniversary 2022: ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी का पहला बिगुल फूंकने वाला योद्धा! जानें उनके जीवन के कुछ अनछुए प्रसंग!
Mangal Pandey (Photo Credits: Wikimedia Commons)

   अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 1857 में आजादी का पहला मशाल जलाने वाले मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 में बलिया (उ.प्र.) में एक सामान्य परिवार में हुआ था. परिवार की परवरिश के लिए 22 वर्षीय मंगल पांडे ब्रिटिश-ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हो गये. उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर उन्हें ब्रिटिश आर्मी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में प्रवेश मिल गया. उन्हीं दिनों मंगल पांडे की बटालियन के लिए एनफिल्ड पी.53 राइफल लांच हुई थी, इसमें कारतूस भरने के लिए उसे मुंह से खोलना पड़ता था, तभी यह खबर आई कि कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. 9 फरवरी को 1857 को यह राइफल सैनिकों को दिया गया. लेकिन मंगल पांडे के इंकार करने पर 29 मार्च 1657 में मेजर ह्यूसन ने उनसे राइफल छीनना चाहा, तब मंगल पांडे ने उन्हें गोली मार दिया. एक अन्य ब्रिटिश लेफ्टिनेंट बॉब आगे बढ़ा तो मंगल पांडे ने उसे भी गोली मार दिया. अंततः ब्रिटिश फौज ने उन्हें पकड़ा. उन पर कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन जन आंदोलन की आशंका से मंगल पांडे को 10 दिन पूर्व 8 अप्रैल को ही फांसी पर लटका दिया गया.

 इस महान क्रांतिकारी की 195वीं जयंती पर प्रस्तुत है मंगल पांडे के जीवन से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग.

*   आजादी के पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे ने 1857 के भारतीय स्वाधीनता संग्राम की अलख जगाते हुए ‘मारो फिरंगी को’ जैसा नारा बुलंद किया था.

* माना जाता है कि मंगल पांडे ने कारतूस के इस्तेमाल का विरोध करने के लिए सभी सैनिकों से साथ निभाने का वादा लिया था, लेकिन जब उन्होंने सैनिकों को ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ ललकारते हुए मेजर ह्यूसन को गोली मारी तो सैनिकों ने उनका साथ नहीं दिया, अगर सैनिकों का साथ मिलता तो बड़े सैनिक विद्रोह का सामना करना अंग्रेजों के लिए आसान नहीं होता.

* मंगल पांडे ने तीसरे लेफ्टिनेंट बॉघ पर भी गोली चलाई थी, लेकिन निशाना चुकने के बाद बॉघ सर पर पैर रखकर वहां से भाग निकला.

* ब्रिटिश हुकूमत को लगा कि उन्होंने मंगल पांडे को फांसी देकर आजादी की ज्वाला को उग्र होने से पहले ही बुझा दिया, लेकिन मंगल पांडे की शहादत के बाद उनके जलाई क्रांति की ज्वाला ने मेरठ, दिल्ली, कानपुर और लखनऊ सैनिक विद्रोह की लपट पहुंची तो अंग्रेज अधिकारियों की नींद हराम हो गई.   

* चर्बीयुक्त कारतूस का इस्तेमाल का मंगल पांडे द्वारा विरोध करने पर ब्रिटिश हुकूमत को कारतूसों पर ग्रीसिंग का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

* कहते हैं कि कोर्ट मार्शल के दौरान जब मंगल पांडे से अन्य साथियों का नाम जानना चाहा और सरकारी गवाह बनकर अपनी जान बचाने का मौका दिया गया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था.

* जिस स्थान पर मंगल पांडे ने ब्रिटिश अधिकारियों को गोलियों से भूना था, अब उस स्थान को 'शहीद मंगल पांडे महा उद्यान' के नाम से जाना जाता है.