World AIDS Day 2018: एड्स से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्कता: चिकित्सक
चिकित्सकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो में नए एचआईवी संक्रमण में 20 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन 2030 तक बीमारी से पूरी तरह से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है.
नई दिल्ली: भारत (India) में एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. देश में करीब लगभग 3.69 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं. हालांकि चिकित्सकों (Doctors) का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो में नए एचआईवी संक्रमण में 20 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन 2030 तक बीमारी से पूरी तरह से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है. एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक एक दिसंबर (1st December) को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है. हालांकि यूएन एड्स की एक स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) बताती है कि एचआईवी या एड्स वाले लोगों तक पहुंचने के मामले में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) (Heart Care Foundation) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "एचआईवी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के कार्य को नष्ट कर देता है और कमजोर कर देता है. धीरे-धीरे संक्रमित व्यक्ति इम्यूनोडेफिशिएंट बन जाता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षो में नए संक्रमण में 20 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन 2030 तक बीमारी से पूरी तरह से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है."
उन्होंने कहा, "विश्व एड्स दिवस पर, इस तथ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है कि एड्स पीड़ित हर व्यक्ति का समय पर इलाज हो, ताकि वे भी अच्छे स्वास्थ्य के साथ जी सके. विभिन्न जन जागरूकता अभियानों, विभिन्न अत्याधुनिक चिकित्सा हस्तक्षेपों और प्रौद्योगिकी विकसित करने के बावजूद एचआईवी व एड्स भारतीय आबादी को प्रभावित कर रहा है."
एचआईवी और एड्स अलग-अलग शब्द हैं. एचआईवी या 'ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस' प्रतिरक्षा प्रणाली में सफेद रक्त कोशिकाओं या टी लिम्फोसाइट्स पर हमला करता है और शरीर को सभी प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त कर देता है. दूसरी ओर, एड्स एक ऐसी स्थिति है, जो एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एचआईवी संक्रमण के उन्नत चरणों में विकसित होती है. यह भी पढ़ें: World AIDS Day 2018: एचआईवी/एड्स से संक्रमित होने पर दिखाई देते हैं ये सामान्य लक्षण, जानें कैसे करें बचाव ?
डॉ. अग्रवाल ने बताया, "गर्भावस्था और प्रसव के दौरान एक संक्रमित महिला अपने बच्चे तक एचआईवी को फैला सकती है. यह स्तनपान के माध्यम से भी, मां से बच्चे तक पहुंच सकता है. सभी गर्भवती माताओं को एचआईवी परीक्षण कराना चाहिए. एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) (Anti Retro-viral Therapy) गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान मां से शिशु तक और यौन संबंधों के माध्यम से एचआईवी संचरण को रोकने के लिए जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए."
डॉ. अग्रवाल ने एड्स से बचाव के लिए कुछ सुझाव देते हुए कहा, "सुरक्षित यौन संबंध के लिए एबीसी : दूर रहें, अपने साथी के प्रति वफादार रहें और यदि ऐसा नहीं कर सकते, तो कंडोम का उपयोग करें. अल्कोहल के सेवन या नशा करने से एड्स की जांच में बाधा पड़ती है. यहां तक कि जो लोग एड्स के जोखिम को समझते हैं और सुरक्षित यौन संबंधों का महत्व जानते हैं, वे भी नशे की हालत में लापरवाही बरत सकते हैं." यह भी पढ़ें: World AIDS Day 2018: जानिए 1 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत ?
उन्होंने कहा, "एसटीआई वाले लोगों को तुरंत इलाज कराना चाहिए और यौन क्रिया से बचना चाहिए या फिर सुरक्षित यौन संबंध रखने चाहिए। संक्रमित रेजर, ब्लेड, चाकू या त्वचा को काटने या छीलने वाले अन्य उपकरणों से एचआईवी फैलने का जोखिम रहता है. एचआईवी पॉजिटिव लोग अपनी इस स्थिति से अनभिज्ञ रह सकते हैं और वायरस को दूसरों तक फैला सकते हैं."