Hazrat Ali’s Jayanti 2024: कब है हजरत अली की सालगिरह? मुसलमान उन्हें अपना खलीफा क्यों मानते हैं साथ ही जानें सेलिब्रेशन?
Hazrat Ali’s Jayanti 2024

इस साल 25 जनवरी 2024 को मोहम्मद हजरत अली की सालगिरह मनाई जाएगी. हजरत अली बहुत नेक होने के साथ-साथ बहादुर व्यक्ति भी थे, इसी वजह से उन्हें अल्लाह का शेर भी कहा जाता है. इस्लाम धर्म से जुड़े लोग इस पर्व को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

हजरत अली का निकाह पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा से हुआ था, साथ ही वह पैगंबर साहब के चचेरे भाई भी थे. इस कारण हजरत अली पैगंबर साहब के उत्तराधिकारी थे, और मुसलमानों के चौथे खलीफा थे. इनका असली नाम अली इंबे अबी तालिब था. हजरत अली का जन्म इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 13 रज्जब 24 हिजरी पूर्व काबा में हुआ था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हजरत अली का जन्म 25 जनवरी 2024 को मनाया जायेगा. हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम दिया करते थे. इस दिन मुसलमान एक दूसरे को बधाइयां देते हैं और उनके उपदेशों को वचनों को याद करते हैं. आइये जानते हैं हजरत अली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां..

कैसे करते हैं सेलिब्रेशन

इस दिन इस्लाम धर्म के लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, उसकी साज-सज्जा करते हैं. मुस्लिम घरों में तमाम तरह के पकवान बनते हैं, और परिजनों तथा मित्रों के साथ दावत का लुत्फ उठाते हैं. इससे पूर्व मस्जिदों को सजाया जाता है. उसे रोशनियों से जगमग बनाया जाता है. इमामबाड़े में मुस्लिम समाज (विशेष रूप से शिया मुसलमान) विभिन्न प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन करते हैं. हजरत अली के उपदेशों एवं उनकी कहानियों का प्रचार-प्रसार करते हैं. उन्होंने अपने उपदेशों में बताया था कि इस्लाम कत्ल और भेदभाव का पक्षधर नहीं है. अवाम को वह अपने संदेशों के जरिये बताते थे कि अपने शत्रु से भी प्रेम करो, एक ना एक दिन वह आपका मित्र ही बन जाएगा.

हजरत अली के बारे में संक्षिप्त परिचय

* हजरत अली का जन्म सउदी अरब स्थित मक्का शहर में हुआ. पिता का नाम अबू तालिब और मां का नाम फातिमा बिंत असद था. मक्का मदीना में पैदा होने वाले वह इकलौते व्यक्ति थे.

* हजरत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है, क्योंकि वह आम लोगों पर विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को बहुत रोचक ढंग से पहुंचाते थे.

* हजरत अली शिया मुस्लिम के पहले इमाम और सुन्नी मुस्लिम के आखिरी राशिदून थे.

* हजरत अली की हत्या उस समय की गई थी, जब वह नमाज पढ़ रहे थे. कहा जाता है कि मरने से पूर्व उन्होंने अपने हत्यारे को माफ कर दिया था.