Tulsi Vivah 2019: भारत में हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप से तुलसी का विवाह कराया जाता है. जिस तरह से हिंदू धर्म में विवाह संस्कार की परंपरा निभाई जाती है, ठीक उसी तरह तुलसी विवाह के दिन भी विवाह के सारे संस्कार निभाए जाते हैं. भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है, इसलिए उनकी कोई भी पूजा तुलसी के बिना संपन्न नहीं होती है. इसलिए इन्हें विष्णु प्रिया भी कहते हैं. मान्यता है कि अगर किसी के विवाह में किसी तरह की बाधा आ रही है या फिर विवाह में देरी हो रही है तो उसे तुलसी विवाह जरूर कराना चाहिए, ऐसा करने से विवाह में आनेवाली बाधाएं दूर होती हैं. इसके अलावा तुलसी विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है.
व्रत कथा:
पौराणिक कथा अनुसार तुलसी का विवाह जालंधर नाम के असुर से हुआ था. वृंदा की भक्ति, तपस्या और पतिव्रता धर्म के कारण जलंधर को और भी ज्यादा शक्तियां प्राप्त हुईं. अपनी शक्तियों का वो दुरूपयोग करने लगा, वो देवताओं, मनुष्यों और राक्षसों पर अत्याचार करने लगा. परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे. जालंधर को मारने का सिर्फ एक ही रास्ता था, उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग करना. भगवान विष्णु जालंधर बनकर वृंदा के पास गए और उनका सतीत्व भंग कर दिया. जिसके कारण उसकी शक्तियां कम हो गईं और वो मारा गया.
भगवान विष्णु का छल जानने के बाद वृंदा ने उन्हें काला पत्थर (शालिग्राम) बन जाने का श्राप दिया. जिसके बाद देवी लक्ष्मी के बहुत प्रार्थना करने के बाद वृंदा ने अपना श्राप तो वापस ले लिया लेकिन स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया. भगवान विष्णु ने वृंदा की राख से तुलसी का पौधा लगाया और कहा कि जब तक संसार में उनकी पूजा होगी, उनके साथ तुलसी को भी पूजा जाएगा. तुलसी के बिना उनकी पूजा पूरी नहीं होगी. इसके बाद से भगवान विष्णु के साथ तुलसी की पूजा भी होने लगी और तुलसी विवाह की इस परंपरा की शुरुआत हुई.
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त-
शुभ तिथि- 9 नवंबर 2019 (शनिवार)
द्वादशी तिथि प्रारंभ- 8 नवंबर 2019 को दोपहर 12.24 बजे से,
द्वादशी तिथि समाप्त- 9 नवंबर 2019 की दोपहर 02.39 बजे तक.
पूजा विधि:
- तुलसी विवाह वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
- स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और इस व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाएं और उनका श्रृंगार करें.
- श्रृंगार के बाद अब शालिग्राम को तुलसी के पौधे के साथ स्थापित करें.
- तुलसी-शालिग्राम का फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप इत्यादि से पूजन करें.
- विधिवत तुलसी-शालिग्राम का विवाह संपन्न कराएं.
- विवाह में तुलसी के पौधे और शालिग्राम की सात परिक्रमा कराएं.
- संपन्न कराए जाने के बाद तुलसी जी की आरती करें.
बहुत सी जगहों पर तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है और कहीं देवउठनी एकादशी के एक दिन बाद किया जाता है.