Swami Vivekananda Jayanti 2024 Wishes: स्वामी विवेकानंद जयंती के इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers को भेजकर दें शुभकामनाएं
बचपन से नरेंद्रनाथ दत्त के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले स्वामी विवेकानंद जी ने 25 वर्ष की आयु में ही संन्यास ले लिया, जिसके बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा. उनकी जयंती के इस खास अवसर पर आप इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Swami Vivekananda Jayanti 2024 Wishes in Hindi: बहुत कम उम्र में सांसारिक मोह माया को छोड़कर संन्यास लेने वाले स्वामी विवेकानंद जी (Swami Vivekananda Ji) को भारत का आध्यात्मिक गुरु कहा जाता है. स्वामी विवेकानंद हर युवा के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, क्योंकि उन्होने युवाओं को आगे बढ़ने के लिए कई प्रेरणादायक बातें बताई थीं, इसलिए स्वामी विवेकानंद जयंती (Swami Vivekananda Jayanti) को राष्ट्रीय युवा दिवस यानी नेशनल यूथ डे (National Youth Day) के तौर पर हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की दुनिया भर में एक अमिट छाप छोड़ने वाले स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के एक साधारण परिवार में हुआ था. स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के शिकागों में सन 1893 में आयोजित धर्म संसद में हिंदी भाषा में अपने भाषण की शुरुआत करके हर किसी का दिल जीत लिया था. करीब 2 मिनट तक आर्य इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो उनके भाषण के बाद तालियों से गूंजता रहा.
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर उनकी विचारधारा और उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है, जिससे आज की युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके. बचपन से नरेंद्रनाथ दत्त के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले स्वामी विवेकानंद जी ने 25 वर्ष की आयु में ही संन्यास ले लिया, जिसके बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा. उनकी जयंती के इस खास अवसर पर आप इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- हैप्पी स्वामी विवेकानंद जयंती
2- स्वामी विवेकानंद जयंती की शुभकामनाएं
3- स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक बधाई
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4- स्वामी विवेकानंद जयंती 2024
5- स्वामी विवेकानंद जयंती
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही एक तेजस्वी बालक थे और उनका रुझान साहित्य, संगीत, तैराकी,घुड़सवारी और कुश्ती के प्रति देखते ही बनता था. हालांकि उनके जीवन में एक ऐसा क्षण भी आया जब उनका ध्यान आध्यात्म की ओर आकर्षित हुआ. उन्होंने अपनी तेजस्वी वाणी और अपने व्यक्तित्व से दुनिया के कई देशों में भारत की संस्कृति और आध्यात्म की अनोखी छाप छोड़ी. वे रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य थे और उन्होंने ही रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी. 1 मई 1897 में उन्होंने कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी.