Mahaparinirvan Diwas 2023 Messages in Hindi: हर साल 6 दिसंबर को भारतीय संविधान के रचयिता (Father of Indian Constitution) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) की पुण्यतिथि मनाई जी है. महान समाज सुधारक और विद्वान कहे जाने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 6 दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी, इसलिए उनकी पुण्यतिथि (Dr. Babasaheb Ambedkar Punyatithi) को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के तौर पर मनाया जाता है. उनका जन्म 14 अप्रैल सन 1891 को मध्य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. महार जाति में जन्म लेने के कारण उन्हें लोग अछूत और निचली जाति का मानते थे. इसी के चलते उन्हें अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और छूआछूत का सामना करने वाले भीमराव आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज के गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. समाज में फैली छुआछूत, जातिवाद और भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए उन्होंने कई आंदोलन भी किए.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अपने समय के एक ऐसे राजनेता थे, जो सामाजिक कार्यों में काफी व्यस्त होने के बावजूद पढ़ने-लिखने के लिए समय निकाल लेते थे. आंबेडकर जी की पुण्यतिथि यानी महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें याद किया जाता है और श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, वॉलपेपर्स, फोटो एसएमएस के जरिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन कर सकते हैं.
1- कर गुजर गए जो वो भीम थे,
दुनिया को जगाने वाले भीम थे,
हमने तो सिर्फ इतिहास पढ़ा है यारो,
इतिहास को बनाने वाले मेरे भीम थे.
महापरिनिर्वाण दिवस
2- कुरान कहता है मुसलमान बनो,
बाइबल कहता है ईसाई बनो,
भगवत गीता कहती है हिंदू बनो,
लेकिन मेरे बाबासाहेब का,
संविधान कहता है इंसान बनो.
महापरिनिर्वाण दिवस
3- भारतीय संविधान के रचयिता,
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को,
महापरिनिर्वाण दिवस पर कोटी-कोटी प्रणाम!
महापरिनिर्वाण दिवस
4- नींद अपनी खोकर जगाया हमको,
आंसू अपने गिराकर हंसाया हमको,
कभी मत भूलना उस महान इंसान को,
जमाना कहता है आंबेडकर जिनको.
महापरिनिर्वाण दिवस
5- 6 दिसंबर महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर,
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को विनम्र श्रद्धांजलि!
महापरिनिर्वाण दिवस
आपको बता दें कि रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर जन्में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. कहा जाता है कि वे बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थे, लेकिन छोटी जाति में जन्म लेने की वजह से उन्हें बचपन से ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. छूआछूत और जातिगत भेदभाव के चलते उनके पिता ने स्कूल में उनका सरनेम सकपाल की जगह अंबडवेकर लिखवाया था, लेकिन कृष्णा महादेव आंबेडकर नाम के ब्राह्मण शिक्षक ने उनके नाम से अंबडवेकर हटाकर अपना सरनेम आंबेडकर जोड़ दिया, जिसके बाद उनका सरनेम आंबेडकर हो गया.