Jharkhand: गुमला में स्थित आंजन पर्वत है हनुमान की जन्मभूमि, रामनवमी पर उमड़े भक्त
आंजन धाम के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी और वहां स्थित गुफा में माता अंजनी की गोद में विराजमान बाल हनुमान की पूजा-अर्चना के लिए रामनवमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. आम दिनों में भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
रांची, 30 मार्च: पौराणिक मान्यताओं में यह सुस्थापित तथ्य है कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या है, लेकिन भगवान राम के अनन्य हनुमान की जन्मभूमि को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और दावे हैं. इनमें से एक मान्यता है कि हनुमान का जन्मस्थल झारखंड के गुमला में स्थित आंजन पर्वत है. आंजन धाम के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी और वहां स्थित गुफा में माता अंजनी की गोद में विराजमान बाल हनुमान की पूजा-अर्चना के लिए रामनवमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. आम दिनों में भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह भी पढ़ें: Ram Navami 2023: राम नवमी पर दो नन्हे भक्तों ने किया श्रीराम का गुणगान, मनमोहक वीडियो हुआ वायरल
इस स्थल से जुड़ी मान्यताओं के जानकार आचार्य संतोष पाठक के मुताबिक, हनुमान भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं और उनका जन्म आंजन धाम में हुआ था. सनातन धर्मावलंबियों के व्यापक जनसमूह का विश्वास है कि झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी की दूरी पर स्थित आंजन पर्वत ही वह स्थान है, जहां माता अंजनी ने उन्हें जन्म दिया था. माता अंजनी के नाम से इस जगह का नाम आंजन धाम पड़ा. इसे आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है.
यहां स्थित मंदिर पूरे भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान बाल रूप में मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं. आंजन धाम के मुख्य पुजारी केदारनाथ पांडेय बताते हैं कि माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थीं। वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा अर्चना करती थीं. उनकी पूजा की विशेष विधि थी, वह वर्ष के 365 दिन अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थीं. इसके प्रमाण अब भी यहां मिलते हैं. कुछ शिवलिंग व तालाब आज भी अपने मूल स्थान पर स्थित हैं. आंजन पहाड़ी पर स्थित चक्रधारी मंदिर में 8 शिवलिंग दो पंक्तियों में हैं। इसे अष्टशंभू कहा जाता है. शिवलिंग के ऊपर चक्र है. यह चक्र एक भारी पत्थर का बना हुआ है.
केदारनाथ पांडेय के अनुसार रामायण में किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख है. आंजन पर्वत की गुफा में ही भगवान शिव की कृपा से कानों में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया. आंजन से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर पालकोट बसा हुआ है. पालकोट में पंपा सरोवर है.
रामायण में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंपा सरोवर के बगल का पहाड़ ऋषिमुख पर्वत है जहां पर कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में हनुमान रहते थे. इसी पर्वत पर सुग्रीव का श्री राम से मिलन हुआ था. यह पर्वत भी लोगों की आस्था का केंद्र है. चैत्र माह में रामनवमी से यहां विशेष पूजा अर्चना शुरू हो जाती है जो महावीर जयंती तक चलती है. यहां पूरे झारखंड समेत देश भर से लोग आते हैं. झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा आदि राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.