
Indian Army Day 2021: यह भारतीय सेना की जांबाजी ही है कि हड्डी जमा देने वाली सर्दी हो या त्वचा को झुलसाने वाली गर्मी, दिन हो या रात, वे अपने देश की सीमाओं पर चौबीस घंटे सजग प्रहरी की तरह डटे देश की सुरक्षा करते हैं. इसके साथ-साथ गाहे-बगाह आंतरिक सुरक्षा और दैवीय आपदाओं में भी सेना की सक्रियता देखी सुनी जाती है. अपने इन्हीं गौरवशाली परंपरा का निर्वाह करते हुए सेना प्रतिवर्ष 15 जनवरी को 'भारतीय सेना दिवस' (Indian Army) मनाती है. इस दिवस विशेष पर अपने दम-खम का प्रदर्शन करने के साथ-साथ उस दिन को भी पूरी शिद्दत और श्रद्धा से याद करती है, जब सेना की कमान पहली बार एक भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल. के एम करियप्पा के हाथों में आई थी. आज जब संपूर्ण भारत में 'भारतीय सेना दिवस' की 73वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. आइये जानें इस पर्व को मनाने का मकसद क्या है, और क्यों हमारी सेना को सर्वशक्तिशाली माना जाता है.
राष्ट्रीय सेना दिवस मनाने का मकसद
'भारतीय सेना दिवस' की स्थापना अंग्रेजों ने 1 अप्रैल 1895 में की थी. ब्रिटिश हुकूमत ने इसका नाम 'ब्रिटिश इंडियन आर्मी' रखा था. 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद इसे 'राष्ट्रीय सेना' का नाम दिया गया, लेकिन आजादी के बाद भी राष्ट्रीय सेना के अध्यक्ष मूल ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ही नियुक्त किये जाते थे. 15 जनवरी 1949 को कमांडर जनरल फ्रांसिस बुचर (Roy Bucher) की जगह फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा (K.M Cariappa) को स्वतंत्र भारत का प्रथम सेना प्रमुख बनाया गया. इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने. दरअसल करियप्पा ने 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में सेना का सफलता पूर्वक नेतृत्व किया था. करियप्पा को सम्मानित करने के उद्देश्य से उन्हें 'फील्ड मार्शल' की उपाधि दी गई. भारतीय सेना के दृष्टिकोण से इस दिवस विशेष की महत्ता को देखते हुए भारत सरकार ने 15 जनवरी 1949 को 'सेना दिवस' मनाने की घोषणा की, तभी से 'भारतीय सेना दिवस' की परंपरा जारी है.
कौन थे के. एम. करियप्पा
फील्ड मार्शल कोनदेरा एम. करियप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक के कुर्ग जिले में हुआ था. उनके पिता कोनदेरा राजस्व अधिकारी थे. करियप्पा ने 20 वर्ष की आयु में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी और भारत-पाक आजादी के समय उन्हें दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई. 1947 में उन्होंने भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें प्रतिष्ठित सम्मान 'ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश अम्पायर' दिया गया था. 1953 में वह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए. 94 वर्ष की आयु में 1993 में उनका निधन हुआ.
कैसे मनाते हैं सेना दिवस समारोह:
भारतीय सीमाओं की दिन-रात पहरेदारी करने वाली भारतीय सेनाओं का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. इस दिन महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री एवं तीनों अंगों के सेनाध्यक्ष राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी 'अमर जवान ज्योति' पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने मातृभूमि की सुरक्षा और राष्ट्र की अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. इस दिवस विशेष पर सेना प्रमुख दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और युद्ध में शहादत देने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मैडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं. इसके साथ-साथ रक्षा मंत्रालय सेवानिवृत्त सैनिकों, वीरांगनाओं, विधवाओं के कल्याणार्थ तमाम योजनाएं चलाता हैं, और उन्हें पेंशन, बच्चों के लिए सैनिक स्कूल, सस्ती कीमत पर आवास, बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं इत्यादि मुहैया कराता है.
इस दिन दिल्ली समेत सेना के सभी छह कमान मुख्यालयों में परेड आयोजित की जाती है. सेना अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन करती है, युद्ध के समय का नमूना प्रस्तुत करती है, और अपने दम-खम एवं अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन कर दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराती है, साथ ही देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित भी करती है. इन शोज में सैन्य अतिथियों और सैनिकों के परिजनों को भी आमंत्रित किया जाता है. शाम के समय सेना प्रमुख चाय पार्टी का आयोजन करते हैं, जिसमें तीनों सेनाओं (जल, थल एवं वायु) के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होते हैं.
आज विश्व की सर्वशक्तिशाली देशों में शुमार है भारत
साल 1947 में जब देश आजाद हुआ था, भारतीय सेना में मात्र 2 लाख जवान थे. आज भारत सामरिक दृष्टि से बहुत शक्तिशाली हो चुका है. भारतीय सैन्यबल में लगभग 13.25 लाख सैनिक, 11.55 लाख आरक्षित बल तथा 20 लाख अर्धसैनिक बल हैं. भारतीय थलसेना में 4426 टैंक (2410 टी-72, 1650 टी-90, 248 अर्जुन एमके-1, 118 अर्जुन एमके-2), 5067 तोपें, 290 स्वचालित तोपें, 292 रॉकेट तोपें तथा 8600 बख्तरबंद वाहन मौजूद हैं. आज पूरी दुनिया भारतीय सेना का लोहा मानती है. रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय थलसेना हर परिस्थिति में अपने पड़ोसी देशों की सेना से बेहतर और ज्यादा अनुभवी है. धरती पर लड़ी जाने वाली लड़ाईयों के लिए भारतीय सेना की गिनती दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में होती है. कहा जाता है कि अगर किसी सेना में अंग्रेज अधिकारी, अमेरिकी हथियार और भारतीय सैनिक हों तो उस सेना को युद्ध के मैदान में हराना असंभव ही नहीं नामुमकिन ही है.