Dattatreya Jayanti 2021 Wishes in Hindi: आज (18 दिसंबर 2021) दत्त जयंती (Datta Jayanti) मनाई जा रही है, जिसे दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय (Lord Dattatreya) का जन्म हुआ था, इसलिए इस पावन तिथि पर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. भगवान दत्त यानी दत्तात्रेय को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त रूप माना जाता है. मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के अवतार हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से न सिर्फ त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और ऐश्वर्य का आगमन भी होता है. इस पर्व को महराष्ट्र के अलावा दक्षिण भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है दत्त भगवान को 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उनके नाम से ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ है, इसलिए दत्त संप्रदाय के लोगों के लिए दत्त जयंती का विशेष महत्व है.
दत्त भगवान के तीन सिर और छह भुजाएं हैं. उनका वाहन श्वान है और गुरुवार इनका प्रिय दिन है. दत्त जयंती पर त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है और शुभकामना संदेशों के जरिए इस पर्व की बधाई दी जाती है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस और कोट्स के जरिएअपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- इस दत्त जयंती पर सभी के महान गुरु,
त्रिमूर्ति के एक रूप भगवान दत्तात्रेय,
सभी को बुद्धिमत्ता, शांति और खुशी प्रदान करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
2- भगवान दत्तात्रेय में समाहित हैं,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
त्रिदेवों की यह त्रिमूर्ति,
आप सभी पर कृपा करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
3- दौड़े आते हैं भक्तों के लिए,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
दिगंबरा, दिगंबरा,
श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
4- पल-पल सुनहरे फूल खिलें,
कभी ना हो कांटों का सामना,
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे,
भगवान दत्तात्रेय से यही है कामना.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
5- दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
दत्त जयंती से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र हैं. माता अनुसूया ने कई वर्षों तक कठोर तप करके ऐसे पुत्र की कामना की थी, जिसमें त्रिदेवों का अंश समाहित हो. उनके तप को देखते हुए त्रिदेवियों ने त्रिदेवों से माता अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने का आग्रह किया, तब त्रिदेव साधु का वेश धारण करके उनकी परीक्षा लेने के लिए पहुंचे. तब माता अनुसूया ने कमंडल से जल लेकर त्रिदेवों पर छिड़का, जिससे तीनों बाल स्वरूप में आ गए. इसके बाद देवी अनुसूया ने माता बनकर तीनों को स्तनपान कराया. जब अत्रि ऋषि आश्रम पहुंचे तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से सब देख लिया और उन्होंने बाल स्वरूप त्रिदेवों को अपनी शक्ति से एक कर दिया, जिसका नाम दत्तात्रेय रखा गया.