Datta Jayanti 2022 Wishes: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. इस साल दत्त जयंती 7 दिसंबर 2022 यानी बुधवार को मनाई जाएगी. विशेष रूप से इस वर्ष श्री दत्त जयंती (दत्त आरती) चन्द्र कृतिका-रोहिणी नक्षत्र में तथा वृष राशि में सिद्ध एवं सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जाएगी. भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का अवतार माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय, जो त्रिमुखी यानी 3 चेहरे हैं और 6 भुजाओं यानी हाथ हैं, में तीनों देवताओं की शक्ति समाहित है. यह भी पढ़ें: Happy Datta Jayanti 2022: दत्त जयंती पर अपनों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIFs, Photo Wishes और Wallpapers
श्री दत्तात्रेय भगवान को स्मृतिगामी के साथ-साथ श्रीतिमात्रानुगत्त के रूप में भी जाना जाता है, जो वत्सल के भक्त हैं. दक्षिण भारत में दत्त संप्रदाय भगवान श्री दत्तात्रेय को अपना मुख्य उपासक मानता है. भगवान दत्तात्रेय का जन्म ऋषि अत्रि और अनुसूया से हुआ था. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है. 8 दिसंबर को पूर्णिमा 9 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी. आप बुधवार के दिन पूरे दिन श्री दत्त प्रभु का व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन कर सकते हैं.
दत्त जयंती पर त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है और शुभकामना संदेशों के जरिए इस पर्व की बधाई दी जाती है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस और कोट्स के जरिएअपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1. श्री गुरु दत्तात्रेय महाराज की जय
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
2. ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात’
दत्तात्रेय जयंती की शुभकामनाएं
3. दत्तात्रेयाय विद्महे
अवधूताय धीमहि
तन्नो दत्तः प्रचोदयात्
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
4. ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:
दत्तात्रेय जयंती की शुभकामनाएं
5. आपको और आपके परिवार को
दत्तात्रेय जयंती की शुभकामनाएं
मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के अवतार हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से न सिर्फ त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और ऐश्वर्य का आगमन भी होता है. इस पर्व को महराष्ट्र के अलावा दक्षिण भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है दत्त भगवान को 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उनके नाम से ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ है, इसलिए दत्त संप्रदाय के लोगों के लिए दत्त जयंती का विशेष महत्व है.
दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया के पुत्र थे. देवी अनसूया को सती स्त्रियों में श्रेष्ठ माना गया है. वनवास के समय माता सीता ने भी देवी अनसूया का आशीर्वाद लिया और पतिव्रता धर्म की शिक्षा प्राप्त की.