नयी दिल्ली, 16 मार्च: रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (Roller Flour Millers Federation of India) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं बेचने के फैसले के बाद पिछले दो माह में गेहूं और आटे की कीमतों में 6-8 रुपये प्रति किलो की कमी आई है. एसोसिएशन ने कहा कि फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन लगभग 10.6-11 करोड़ टन रहने का अनुमान है. एक बयान के अनुसार, इसने यह भी मांग की कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान गेहूं आटा, मैदा और सूजी सहित गेहूं और गेहूं उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध जारी रहना चाहिए. यह भी पढ़ें: Delhi Excise Policy: दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में ईडी के समन के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचीं कविता
आरएफएमएफआई ने कहा कि 25 जनवरी को खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) शुरू करने के सरकार के फैसले के चलते पूरे देश में गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में 600-800 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अनुसार, मौजूदा समय में आटे की कीमतें 2,600-3,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि जनवरी, 2023 के मध्य में यह 3,400-3,800 रुपये प्रति क्विंटल थी. कीमतों को नरम करने के लिए केंद्र 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेच रहा है. इसमें से 45 लाख टन आटा चक्की सहित थोक उपभोक्ताओं के लिए है. महासंघ ने कहा कि आगामी सत्र के लिए गेहूं की फसल के चल रहे सर्वेक्षण के अपने प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, गेहूं की खेती का रकबा लगभग 343.23 लाख हेक्टेयर है.
गर्मियों की शुरुआत के बावजूद महासंघ को 10.6 करोड़ टन और 11 करोड़ टन के बीच रिकॉर्ड फसल उत्पादन होने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि गेहूं की कीमतों में गिरावट के साथ इसके रिकॉर्ड उत्पादन के कारण सरकार 340 लाख टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगी. बाजार में गेहूं की घरेलू उपलब्धता कम होने के कारण जनवरी, 2023 में गेहूं की घरेलू कीमतें 3,200-3,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गई थीं. उसके बाद केंद्र ने बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) की घोषणा की.
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने कहा, ‘‘व्यापक विचार-विमर्श के बाद भारत सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के केंद्रीय पूल स्टॉक में मामूली भंडार होने के बावजूद गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों पर अंकुश के लिए 50 लाख टन गेहूं बेचने की अनुमति दी थी.
उन्होंने कहा कि केंद्र के समय पर हस्तक्षेप से न केवल गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्कुट सहित कई तरह के उद्योगों को भी राहत मिली है. कुमार ने कहा, ‘‘ मौजूदा समय में थोक बिक्री बाजार में जिन राज्यों में मांग के अनुरूप केंद्रीय पूल से गेहूं निकाला गया है, वहां गेहूं की दर घटकर 23-24 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है, जबकि जिन राज्यों में गेहूं उतारे जाने की प्रक्रिया चल रही है वहां भाव 24-25 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है.
अगर सरकार ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो कीमतें 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जातीं.’’ फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने कहा कि आटा मिलें कीमत में कटौती कर सरकार के उद्देश्य का समर्थन कर रही हैं. फेडरेशन के उपाध्यक्ष, धर्मेंद्र जैन ने कहा, ‘‘हमारे सदस्य कीमतों में कटौती को पहले ही पारित कर चुके हैं.’’ वर्ष 1940 में स्थापित संघ के अखिल भारतीय स्तर पर 2,500 से अधिक सदस्य हैं.
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