नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) को उतना महत्व नहीं मिला, जितना उन्हें मिलना चाहिए था और कई जाने-माने नेताओं और स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) में उनके योगदान को कमतर आंकने की कोशिश की गई. शाह ने कहा, नेताजी और उनके जीवन को देखकर महसूस होता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है. आजादी के आंदोलन के इतिहास का तेजस्वी ध्रुव तारा, जितना महत्व नेताजी को मिलना चाहिए था, उतना महत्व उन्हें नहीं मिला. सालों तक देश में आजादी के कई जाने-माने नेताओं को और उनके योगदान को छोटा करने का भी प्रयास किया गया. Union Home Minister Amit Shah : भाजपा सरकार ने गुजरात की कानून-व्यवस्था मजबूत की
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लिए कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए यह टिप्पणी की. शाह ने इस अवसर पर कहा कि यहां आकर वे बहुत रोमांचित हैं और ये स्वाभाविक है, क्योंकि सालों तक जो हमने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसका पूर्ण स्वराज भले ही 1947 में मिला हो, मगर 1943 में भारत के इस हिस्से को दो साल के लिए अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने का काम नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने किया था. उन्होंने कहा कि देशभर के देशभक्तों, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण स्थान बनना चाहिए, क्योंकि यहीं पहली बार नेता जी ने दो रातें गुजारी थीं और यहीं पहली बार नेताजी ने तिरंगा फहराया था.
उन्होंने कहा, "आजादी का अमृत महोत्सव भी चल रहा है और सुभाष जी का 125वां वर्ष भी चल रहा है. इसी पवित्र वर्ष में मैं यहां आया हूं, जहां 30 दिसंबर 1943 को सुभाष बाबू ने आजाद भारत की मुक्त हवा में सांस लेकर तिरंगा फहराया था."
उन्होंने कहा, "सरदार पटेल के साथ भी कुछ इसी प्रकार का अन्याय हुआ. आज हम जिस भारतीय गणराज्य को देख रहे हैं, कोई कल्पना कर सकता कि 550 से अधिक रियासतों को जोड़ने का काम अगर सरदार पटेल एक-डेढ़ साल के कम समय में ना करते तो क्या भारत का अस्तित्व होता."
शाह ने आगे कहा, अंग्रेजों ने तो सबको मुक्त करके जो करना था वो कर दिया, लेकिन इन सब रियासतों को जोड़ने और एक मजबूत भारत बनाने का काम सरदार पटेल ने किया. सरदार साहब को भी जितना सम्मान आजादी के बाद मिलना चाहिए, उतना सम्मान नहीं मिला. लेकिन इतिहास खुद को दोहराता है, किसी के साथ कितना भी अन्याय करने का प्रयास किया जाए, काम कभी छिपता नहीं है और आज केवडिया में सरदार साहब की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा नरेंद्र मोदी जी ने लगाई है, जिसे देखने दुनियाभर से लोग आते हैं.
शाह ने कहा कि "सुभाष बाबू और सरदार पटेल, आजादी के आंदोलन के दो ऐसे व्यक्तित्व थे. आज सुभाष बाबू को पूरे देश सम्मान के साथ याद करे, ऐसी व्यवस्था यहां हम करने वाले हैं और इसीलिए जहां सुभाष बाबू ने ध्वज फहराया था, वहीं पर आजादी के 75 साल पूरे होने पर मोदी जी ने एक बहुत बड़ा तिरंगा लगाकर एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल भी बनाया है और देशभक्ति की जागृति का एक ऊर्जा केंद्र भी बनाया है."
गृहमंत्री ने कहा, "आने वाले दिनों में इस द्वीप को भी हम विकसित करने वाले हैं और सुभाष बाबू का एक भव्य स्मारक यहां बने, ऐसी व्यवस्था करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष बाबू के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में देशभर में मनाने की घोषणा भी की है और देशभर की सरकारें और केंद्र सरकार आज पराक्रम दिवस मना रही हैं."
गृहमंत्री ने शाह ने रानी लक्ष्मीबाई द्वीप, शहीद द्वीप इको टूरिज्म प्रोजेक्ट, स्वराज द्वीप वाटर एयरोड्रम और अन्य विकास परियोजनाओं का हवाई सर्वेक्षण भी किया. इस अवसर पर अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डीके जोशी और केंद्रीय गृह सचिव समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.