नई दिल्ली, 10 नवंबर: कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखने के मामले की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अपनी याचिका को हाईकोर्ट ले जाने का निर्देश दिया, जहां 27 नवंबर को इस मामले की सुनवाई निर्धारित हुई है. दरअसल, दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने निजी अस्पतालों में आईसीयू के 80 फीसदी बेड कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित रखने वाले फैसले पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने न्यायाधीश अशोक भूषण और बी.आर. गवई की पीठ के समक्ष दलील दी कि दीपावली उत्सव के दिनों में अधिक व्यक्तियों के आपस में मिलने से कोविड के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा सकती है. दिल्ली सरकार ने कहा कि वह दो सप्ताह के लिए बेड आरक्षित रखने की योजना बना रही है और उसके बाद स्थिति के आधार पर आदेश वापस ले लेगी. इस पर, पीठ ने सरकार के वकील से पूछा कि इस मामले में हाईकोर्ट में अपील क्यों नहीं की गई.
जैन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में नए कोरोना मामलों ने 7,000 का आंकड़ा पार कर लिया है. इस पर पीठ ने जवाब दिया, "यह आंकड़ा पहले 10,000 था. इस संख्या में उतार-चढ़ाव है. आपने रिकॉर्ड पर कोविड-19 मरीजों के संबंध में ऐसी कोई सामग्री नहीं बताई है, जो दिखाए कि मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं हैं."
जैन ने कहा कि बहुत से लोग बाहर से आते हैं और निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं और आईसीयू बेड का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया कि दिल्ली को 6,000 आईसीयू बेड की जरूरत है और उनके पास केवल 3,500 बेड हैं. उन्होंने कहा कि अधिसूचना के साथ, सरकार और अधिक बेड शामिल कर सकती है. जैन ने कहा, "133 अस्पतालों में से केवल 33 अस्पताल ही आरक्षित किए गए हैं."
जब न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया जाना चाहिए, तो जैन ने कहा कि मामले की सुनवाई की तत्काल जरूरत है, क्योंकि कोविड-19 रोगियों को आईसीयू बेड उपलब्ध कराने की जरूरत के बारे में दिल्ली में स्थिति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि यह मामला इस महीने के अंत में हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है और उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, चाहे मामले पर खंडपीठ सुनवाई करे या चाहे फिर इस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो.