SC on Mob Lynching: मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के लिए उचित मुआवजा नीति की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों को नोटिस जारी किया
Supreme Court (Photo Credit- ANI)

नई दिल्ली, 21 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने देश में मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के लिए एक समान और उचित मुआवजा नीति अपनाने का निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि, प्रगति और सुधार के लिए भारतीय मुसलमानों द्वारा दायर, तहसीन एस पूनावाला बनाम भारत संघ और अन्य (2018) के मामले में इस अदालत द्वारा जारी निदेशरें के कार्यान्वयन के साथ-साथ जनहित में दायर किया गया है. यह भी पढ़ें: Godhra Train Burning Case: गोधरा कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे 8 दोषियों को SC से बड़ी राहत, कोर्ट ने दी जमानत

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट जावेद आर. शेख ने अदालत का ध्यान उपरोक्त फैसले के उस प्रासंगिक अंश की ओर खींचा, जिसमें यह निर्देश दिया गया था कि राज्य दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 357ए के तहत लिंचिंग/भीड़ हिंसा के मामलों में पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने के उद्देश्य से एक योजना तैयार करेंगे.

उन्होंने प्रस्तुत किया कि कुछ राज्यों ने एक योजना तैयार की है जबकि कई राज्यों ने आज तक ऐसा नहीं किया है. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा- यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि उक्त निर्णय ने दिशा-निर्देश दिए थे कि किस तरह से पीड़ित मुआवजा योजना को तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि राज्य सरकारों को शारीरिक चोट, मनोवैज्ञानिक चोट और कमाई के नुकसान की प्रकृति के साथ-साथ अन्य अवसरों जैसे शैक्षिक अवसरों की हानि और मॉब लिंचिंग/भीड़ की हिंसा के कारण होने वाले खचरें पर उचित ध्यान देना होता है.

इस संबंध में यह प्रस्तुत किया गया था कि क्योंकि राज्य सरकारों को शारीरिक चोट, मनोवैज्ञानिक चोट और कमाई के नुकसान की प्रकृति के साथ-साथ अन्य अवसरों जैसे शैक्षिक अवसरों की हानि और मॉब लिंचिंग/भीड़ की हिंसा के कारण होने वाले खचरें पर उचित ध्यान देना होता है.

वकील की बात सुनने के बाद पीठ ने कहा, हम प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हैं. प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे उपरोक्त मामले में जारी निदेशरें के कार्यान्वयन और जिस तरह से किया गया है, उसके संबंध में अपने-अपने हलफनामे दायर करें. उक्त हलफनामा नोटिस की तामील की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर दायर किया जाएगा.