PM मोदी के स्मार्ट विजन का नतीजा! दुनिया में तीसरे नंबर पर भारत का 'स्टार्टअप इकोसिस्टम'
2014 के बाद से स्टार्टअप की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया मुहिम ने इसके लिए देश के उद्यमशील युवाओं को प्रेरित किया है.
नई दिल्ली, 6 मार्च: भारत में 2014 के बाद से स्टार्टअप की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया मुहिम ने इसके लिए देश के उद्यमशील युवाओं को प्रेरित किया है. आंकड़ों की मानें तो इन सालों में देश में स्टार्टअप की संख्या 300 से बढ़कर 1 लाख से ज्यादा हो गई है. वहीं, इन स्टार्टअप को शुरू करने वालों में महिलाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है.
एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2021-2022 में 172 अरब डॉलर से बढ़कर देश का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सेवाओं का निर्यात 2022-23 में 12.2 प्रतिशत बढ़कर 193 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इनमें आईटी संबद्ध सेवाओं और बीपीओ शामिल हैं. इसमें आईटी सॉफ्टवेयर/सेवाओं का 126 अरब डॉलर, बीपीओ सेवाओं का 52 अरब डॉलर, सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास का 5.1 अरब डॉलर, इंजीनियरिंग सेवाओं का 9 अरब डॉलर का योगदान है.
भारतीय का आईटी उत्पाद अधिक से अधिक देशों में जा रहा है. इसके साथ ही भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए अमेरिका प्रमुख बाजार बना हुआ है. भारत दुनिया भर में 70 से ज्यादा देशों को सॉफ्टवेयर निर्यात करता है. इसके साथ ही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आईटी प्रोफेशनल्स भी भारतीय ही हैं. वहीं, जिस रफ्तार के मोदी सरकार देश में सेमीकंडक्टर और सिलिकॉन चिप्स के उत्पादन को देश में करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, उससे देश में तेज गति से इस क्षेत्र में विकास की संभावना बढ़ गई है.
जबकि, एक दूसरी रिपोर्ट की मानें तो भारत का सॉफ्टवेयर निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 320 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिससे वैश्विक कंप्यूटर सेवाओं के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 11% तक बढ़ गई.
बता दें कि भारत में आईटी सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में 9% योगदान के साथ सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है. 2025 तक इसके 300-350 अरब अमेरिकी डॉलर को पार करने की उम्मीद है.
आंकड़ों की मानें तो भारत ने अपने घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को 2014-15 में 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 2022-23 में 101 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा दिया है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 3.4% का योगदान देता है.
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब दुनिया भर के देशों में तीसरे स्थान पर आ गया है. इसके साथ ही देश में 111 से ज्यादा यूनिकॉर्न की संख्या हो गई है. इसमें से लगभग 47 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्टअप व्यवसायों में महिलाएं निदेशक या सीईओ हैं. दुनिया भर के 5 शीर्ष यूनिकॉर्न वाले देशों की सूची में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूके और जर्मनी शामिल हैं यानी यूनिकॉर्न वाले देशों में भारत के बाद चौथे स्थान पर यूके और पांचवें स्थान पर जर्मनी है.
दरअसल, जिस भी स्टार्टअप की वैल्यू 1 अरब डॉलर से ज्यादा हो जाती है, उसे यूनिकॉर्न स्टार्टअप कहा जाता है.
अब ऐसे में जब भारत दुनिया भर में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न स्टार्टअप दोनों में तीसरे पायदान पर है तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होने के साथ ही निवेश की संभावना में भी तेजी आई है. ऐसे में भारत में जिस तरह से तेज गति से यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन रहा है और 2015 तक इसके 150 तक हो जाने की संभावना है. उससे साफ लग रहा है कि भारत यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में इस तेजी से विकास करता रहा तो वह ग्लोबल लीडर बन जाएगा.