कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) का केंद्र सरकार द्वारा अचानक तबादला करने का मामला शांत होने की बजाय बढ़ता जा रहा है. पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने के केंद्र के आदेश को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर यह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है. बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त नहीं कर रही है. केंद्र पश्चिम बंगाल के सचिव को बुला सकता है लेकिन ममता इनकार कर सकती हैं: विशेषज्ञ
बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पांच पन्नों के पत्र में मुख्य सचिव को तीन माह का सेवा विस्तार दिए जाने के बाद, उन्हें वापस बुलाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुन:विचार करने का अनुरोध किया है. उन्होंने पत्र में कहा है ‘‘पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं. यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है.’’
पांच पन्नों के पत्र में बनर्जी ने लिखा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार इस गंभीर समय में मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती, ना ही उन्हें कार्यमुक्त कर रही है.’’
मुख्यमंत्री ने पत्र में यह अनुरोध भी किया कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था उसे ही प्रभावी माना जाए. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, ‘‘मैं आपसे विनम्र अनुरोध करती हूं कि अपने फैसले को वापस लें और पुनर्विचार करें. व्यापक जनहित में तथाकथित आदेश को रद्द करें. मैं पश्चिम बंगाल की जनता की ओर से आप से अंतरात्मा से तथा अच्छी भावना से काम करने की अपील करती हूं.’’
"West Bengal Govt can't release & is not releasing its Chief Secretary at this critical hours," West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee wrote to PM requesting to withdraw, recall, reconsider the decision & rescind latest so-called order
— ANI (@ANI) May 31, 2021
उन्होंने कहा कि संघीय सहयोग, अखिल भारतीय सेवा तथा इसके लिए बनाए गए कानूनों के वैधानिक ढांचे का आधार स्तंभ है. बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा, ‘‘मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है.’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से. लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का उनका कोई मतलब नहीं है.’’
बनर्जी ने कहा कि केंद्र का आदेश राज्य के हितों के विरुद्ध है और इसकी वजह से मुख्य सचिव ने हाल ही में निजी तौर पर पीड़ा सही है लेकिन फिर भी वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.
ये समय राज्य सरकारों से लड़ने का नहीं है, सबके साथ मिलकर करोना से लड़ने का है। ये समय राज्य सरकारों की मदद करने का है, उन्हें वैक्सीन उपलब्ध करवाने का है, सभी राज्य सरकारों को साथ लेकर एक होकर टीम इंडिया बनकर काम करने का है। लड़ाई झगड़े और राजनीति करने को पूरी ज़िंदगी पड़ी है pic.twitter.com/qwUVjcLA3i
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2021
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि यह समय राज्य सरकारों से लड़ने का नहीं, बल्कि कोरोना वायरस से मिलकर निपटने का है. केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘यह समय राज्य सरकारों से लड़ने का नहीं है, सबके साथ मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने का है. यह समय राज्य सरकारों की मदद करने का है, उन्हें टीके उपलब्ध कराने का है. यह सभी राज्य सरकारों को साथ लेकर टीम इंडिया बनकर काम करने का समय है. लड़ाई-झगड़े और राजनीति करने के लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी है.’’
केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में संवैधानिक व्यवस्था अहंकार और अराजकता का बंधन बन गया है. संवैधानिक व्यवस्था को अहंकार और अराजकता ने हाईजैक कर लिया है. अगर आप संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बनी हैं तो आपको संवैधानिक मूल्यों और संस्थाओं का सम्मान करना ही होगा.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को सेवा विस्तार दिये जाने के मात्र चार दिन बाद केंद्र ने शुक्रवार रात उनकी सेवाएं मांगी और राज्य सरकार से कहा कि वह अधिकारी को तुरंत कार्यमुक्त करे. पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इस कदम को ‘‘जबरन प्रतिनियुक्ति’’ करार दिया.
पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. हालांकि, केंद्र से मंजूरी के बाद उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था. केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक को मुख्यमंत्री द्वारा महज 15 मिनट में निपटाने से उत्पन्न विवाद के कुछ घंटों के बाद दिया.