पश्चिम बंगाल: 25 नवंबर को बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस होगा सत्ता का सेमी-फाइनल, पता चलेगा लोगों का मूड
ममता बनर्जी (Photo Credits: PTI)

पश्चिम बंगाल में 25 नवंबर को विधानसभा की तीन सीटों पर होने वाला उपचुनाव लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के बाद राज्य में राजनीतिक हवा के रुख का संकेत देगा. आमचुनाव के बाद यह उपचुनाव राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) और लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली बीजेपी की पहली कठिन परीक्षा होगी. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी और वह राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से महज चार सीटें पीछे रह गई थी. बीजेपी राज्य की सत्ता से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार को हटाने की कोशिश कर रही है. ये उपचुनाव पश्चिम मिदनापुर जिले में खड़गपुर सदर सीट पर, नदिया के करीमपुर सीट पर और उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज में कराये जा रहे हैं.

इन सीटों पर फिलहाल क्रमश: बीजेपी , तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस का कब्जा है. कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक पी रॉय के निधन से रिक्त हुई. खड़गपुर सीट से बीजेपी विधायक दिलीप घोष मिदनापुर लोकसभा सीट से विजयी हुए थे. वहीं, करीमपुर से तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा कृष्णानगर लोकसभा सीट से विजयी हुई थीं. इन घटनाक्रम के चलते इन विधानसभा की इन तीनों सीटों पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी है.

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इन उपचुनावों के राज्य में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक प्रभाव देखने को मिलेंगे. दरअसल, प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (National Civil Register) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक संसद में पेश किये जाने की संभावना के बीच हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए हैं. बीजेपी के लिये असली चुनौती लोकसभा चुनाव में मिली अपनी सफलता को दोहराना है जबकि तृणमूल कांग्रेस अपना खोया राजनीतिक आधार वापस हासिल करने की कोशिश करेगी.

ये उपचुनाव यह भी तय करेंगे कि विपक्षी कांग्रेस और माकपा राज्य की राजनीति में कितने प्रासंगिक रह गये हैं. राज्य में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं जबकि माकपा का खाता तक नहीं खुल सका. पश्चिम बंगाल प्रदेश बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, ‘‘हम उपचुनाव में सभी तीन सीटों पर जीत हासिल करने के लिये आश्वस्त हैं. पश्चिम बंगाल के लोगों ने राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को शिकस्त देने का मन बना लिया है. ’’

बीजेपी को यह लगता है कि करीमपुर और कालियागंज सीटों पर उपचुनाव पार्टी के लिये एक कठिन परीक्षा साबित होगी. दरअसल, इन दोनों क्षेत्रों में मुसलमानों और दलितों की अच्छी खासी आबादी है. इन दोनों क्षेत्रों के ज्यादातर दलित शरणार्थी हैं. उनके पूर्वज 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर भारत में आ गये थे. बीजेपी राज्य की सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने पर विचार कर रही है.

वहीं, पिछले तीन महीनों से तृणमूल कांग्रेस के जनसंपर्क अभियान ‘दीदी के बोलो’ से पार्टी को उम्मीद है कि उसमें नयी ऊर्जा का संचार होगा और वह अपना खोया हुआ आधार वापस पा लेगी.तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के लोग पिछले पांच-छह महीनों में समझ गये हैं कि बीजेपी सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकत है. उपचुनावों में हम सभी तीनों सीट जीतेंगे क्योंकि राज्य के लोगों का ममता बनर्जी पर विश्वास है.’’ उपचुनावों में कांग्रेस कालियागंज और खड़गपुर सदर सीट से अपना उम्मीदवार उतारेगी, जबकि वाम मोर्चा करीमपुर में अपना उम्मीदवार उतारेगा.