शिवसेना ने बुधवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के, अपने कार्यों पर केंद्रित प्रचार अभियान ने उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दिलाई जबकि भाजपा की ध्रुवीकरण की कोशिश राष्ट्रीय राजधानी के मतदाताओं को रास नहीं आई. शिवसेना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल की यह कहते हुए प्रशंसा की उन्होंने मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय नेताओं समेत भाजपा नेताओं की सेना का अकेले मुकाबला किया और शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को सफलतापूर्वक पेश किया.
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा, यह असाधारण है क्योंकि भारत में चुनाव आम तौर पर भावनात्मक मुद्दों पर लड़े जाते हैं. उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने अपनी पूर्व सहयोगी भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि आप की जीत ‘‘घमंड और हम जो करें वही कायदा है’’ वाले रवैये की हार को दिखाती है. संपादकीय में कहा गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव हारना और देश की वित्तीय राजधानी (महाराष्ट्र) में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए बेहद दुखी करने वाला होगा जो राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद भाजपा की कम से कम एक जीत को तरस रहे थे. यह भी पढ़ें:- दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम 2020: रामलीला मैदान में 16 फरवरी शपथ लेंगे अरविंद केजरीवाल.
मंगलवार को केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर शानदार जीत हासिल की. संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जारी प्रदर्शनों के बीच इस मुकाबले पर सबकी नजर थी जहां आप ने मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा को जबर्दस्त झटका दिया और कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया कर दिया. शिवसेना ने केजरीवाल को जीत की बधाई देते हुए कहा, भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने सांसदों, विधायकों और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पूरी फौज के साथ उतरी थी लेकिन केजरीवाल अकेले उनपर भारी पड़ गए. यह घमंड की और उस रवैये, कि ‘हम करें सो कायदा” की हार है.
पार्टी ने कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी विमर्श को सीएए, हिंदू-मुस्लिम और शाहीन बाग को मुस्लिमों का आंदोलन बताने जैसे मुद्दों पर केंद्रित रखा लेकिन मतदाता ऐसे ध्रुवीकरण के चक्कर में नहीं पड़े और केजरीवाल के पक्ष में मतदान किया. संपादकीय में दावा किया गया कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था का केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आना भी आप के लिए लाभकारी रहा. मराठी दैनिक ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद शाह अपनी पार्टी के लिए एक जीत चाहते थे जो लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद एक एक कर राज्य विधानसभा चुनाव हार रही है.