नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार की अपील के बाद दो और वर्षो के लिए त्रिपुरा के बर्खास्त 10,323 सरकारी शिक्षकों की सेवाओं में विस्तार कर दिया है. त्रिपुरा कानून विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार की अपील पर 10,323 सरकारी शिक्षकों की सेवाओं में दो वर्ष का विस्तार कर दिया. पीठ ने इसके साथ ही केंद्र को प्रशिक्षण और व्यावसायिक योग्यता के क्षेत्र में चार महीने के अंदर राहत देने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं."
उन्होंने कहा कि पीठ ने राज्य सरकार को टीईटी (टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) के जरिए शिक्षकों की भर्ती करने और नौकरी पाने वाले को जरूरी व्यावसायिक कोर्स जैसे बी.ईडी (बैचलर्स ऑफ एजुकेशन) को भी पूरा करने के लिए उत्साहित करने के लिए कहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने 29 मार्च 2017 को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें न्यायालय ने पूर्ववर्ती वाम शासन के दौरान माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में 'गड़बड़ी' के आधार पर 10,323 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी. यह भी पढ़ें- कोरेगांव-भीमा: सुप्रीम कोर्ट ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर लगाई रोक
पूर्ववर्ती वाम सरकार के अपील पर शीर्ष अदालत ने इस वर्ष जून तक इनकी सेवाओं में विस्तार कर दिया था. भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार ने जून में इन शिक्षकों के सेवाओं के विस्तार के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब, शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने इस निर्णय को सराहा और कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने का भरसक प्रयास करेगी.
देब ने मीडिया से कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए अकादमिक और अन्य योग्यताओं के संबंध में जल्द ही एक बार में ही (वन-टाइम) छूट प्रदान करेगी."