लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठकों में मंत्रियों के फोन ना ले जाने वाले फरमान पर विपक्ष ने सवाल खड़े करते हुए इस घटना को लोकतंत्र में यकीन ना करने वाला आदेश बताया है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, "यह सरकार पूरी तरह से डरी हुई है, जब इन्हें अपने मंत्रियों और विधायकों पर ही यकीन नहीं है, तो ये जनता का क्या भला करेंगे."
उन्होंने कहा, "इस प्रकार के आदेशों के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. जब खुद के मंत्रियों के बारे में इनकी यह सोच है तो समझ लें, यह जनता को किस तरीके से देखते होंगे."
यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसदों को भोज पर किया आमंत्रित
वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने इस पूरे मामले में कहा, "तानाशाही के आधार पर भाजपा का जन्म हुआ है. इनके नेताओं की यदि लोकतंत्र में श्रद्धा है, तो इस आदेश का विरोध करें और इसका बहिष्कार करें." उन्होंने कहा कि यह निजता का हनन है, अगर इसका विरोध नहीं हुआ तो आगे चलकर इस तरह के फैसले बहुत घातक सिद्ध होंगे.
उन्होंने कहा, "जिस प्रकार केंद्र में सारे मंत्रियों और सांसदों के अधिकारों को शून्य करके पूरे सरकार की बागडोर अमित शाह और मोदी के हाथ में दी गई है, ठीक उसी प्रकार यही रवैया प्रदेश सरकार भी अपनाने जा रही है. इसका विरोध किया जाना चाहिए. जनता के चुने लोगों को चाहिए कि इसका कड़ा विरोध दर्ज कराएं, जिससे यह तानाशाही फरमान खत्म हो सके."
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठकों में अपने मंत्रियों के फोन ले जाने पर रोक लगाई है. इस संबंध में मुख्यमंत्री की तरफ से आदेश जारी किया गया है. मंत्रियों को अब बैठक से पहले कक्ष के बाहर ही अपना फोन छोड़ना होगा.
इसे लेकर मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने आदेश जारी कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि लोकभवन स्थित मंत्रिपरिषद कक्ष में किसी के भी मोबाइल फोन लाने पर प्रतिबंध है. यह आदेश उप-मुख्यमंत्री, सभी कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार के सभी राज्यमंत्रियों व उनके निजी सचिवों पर लागू होगा.