नई दिल्ली, 11 दिसम्बर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि जम्मू कश्मीर में 42 हजार लोग मारे गए - वे लोग क्यों मारे गए, सवाल हिंदू मुसलमान का नहीं है. गृहमंत्री ने धारा 370 को जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने राज्य सभा में कहा कि कश्मीर से ज्यादा मुसलमान गुजरात में, उत्तर प्रदेश में, बिहार में है. कश्मीर से ज्यादा मुसलमान असम में भी है, क्यों वहां अलगाववाद आतंकवाद नहीं हुआ. बॉर्डर का भी सवाल नहीं है - राजस्थान और गुजरात का बॉर्डर भी पाकिस्तान से लगता है. लेकिन कश्मीर में क्यों हुआ, क्योंकि धारा 370 अलगाववाद को बढ़ावा देती थी और अलगाववाद के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद हुआ.
शाह ने कहा कि कितने भी बड़े आदमी से गलत फैसला हो सकता है, लेकिन जब इतिहास सिद्ध कर दे, समय सिद्ध कर दे की फैसला गलत है तो देश हित में वापस ले लेना चाहिए.
Speaking in the Rajya Sabha on two important bills on Jammu and Kashmir.
— Amit Shah (@AmitShah) December 11, 2023
उन्होंने कांग्रेस से कहा कि अगर अभी भी इस फैसले के साथ चिपक के रहना चाहते हो तो देश की जनता देख रही है और 2024 में दो-दो हाथ भी हो जाएंगे और जनता का परिणाम भी आ जाएगा.
गृहमंत्री ने कहा कि सरकार जो दो विधेयक लेकर आई है उस पर सभी पार्टियों को उन्होंने सुना है, सर्वानुमति से बिल के तत्वों का सभी ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि इसमें 'कमजोर और वंचित वर्ग' की जगह 'अन्य पिछड़ा वर्ग' नाम जोड़ने का फैसला किया गया है.
शाह ने कहा कि 80 के दशक से आतंकवाद की शुरुआत हुई और 1989 से यह चरम पर पहुंचा. ढेर सारे कश्मीरी हिंदू, विशेष तौर पर कश्मीरी पंडित, अनेक सिख भाई घाटी छोड़कर पूरे देश भर में बिखर गए. वे ऐसे बिखरे की अपने ही देश में विस्थापित हो गए. जिनके पास अरबो खरबो की संपत्ति थी वे दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गए.
गृहमंत्री ने बताया कि यह कोई छोटा आंकड़ा नहीं है - 46,631 परिवार पंजीकृत हैं जो वहां से विस्थापित हुए हैं. इसके अलावा एक लाख 57 हजार 967 लोगों अभी तक रजिस्टर्ड हुए हैं. अमित शाह ने कहा कि मैं सदन के माध्यम से आज देश भर में बिखरे सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों व अन्य लोगों को कहना चाहता हूं कि सरकार आपको न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध है. आप हमें बताइए हम तुरंत आपको रजिस्टर्ड करेंगे और आप जम्मू-कश्मीर में चुनाव भी लड़ सकते हो वहां मंत्री बनकर भी जा सकते हो.
अमित शाह ने बताया कि अब तक 1947, 1965 और 1971 के युद्ध में लगभग 41,844 परिवार विस्थापित हुए हैं. उनके लिए भी भारत सरकार ने काम किया है. उन्होंने बताया कि तीन सीटें - दो जम्मू कश्मीर से विस्थापित परिवारों के लिए और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित होकर आए कश्मीरी भाइयों के लिए - आरक्षित की गई हैं.
गृहमंत्री कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जम्मू की 37 सीटें थीं. यह सीटें अब बढ़कर 43 हो गई हैं. वहीं विधानसभा में कश्मीर से 46 सीटें थीं, वह बढ़कर अब 47 हो गईं है. दोनों को मिलाकर 83 सीटें थी जो अब 90 होने जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है इसलिए वहाँ के लिए 24 सीटें आरक्षित रखी हैं. यानी नए बदलावों से पहले जहां जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं वहीं अब बढ़कर 114 हो गई हैं.
शाह ने कहा कि इस सदन में इस देश के गृहमंत्री के नाते कहना चाहता हूं कि कभी भी युद्ध हुआ, आतंकवादियों ने कभी भी पैंतरे रचे तो मेरे गुर्जर बकरवाल भाइयों ने सकारात्मक भूमिका निभाई. आज वर्षों बाद उनको न्याय मिलने जा रहा है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एससी-एसटी के अधिकारों को रोक कर रखा गया. अब उनको उनके अधिकार दिए जा रहे हैं.