कभी कांग्रेस (Congress) में रहते हुए असम (Assam) का मुख्यमंत्री बनने में सफल न होने वाले हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) का सपना अब भाजपा (BJP) में पूरा होने जा रहा है. भाजपा विधायक दल की रविवार को हुई बैठक में नेता चुने जाने के बाद वह सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कांग्रेस से भाजपा में आकर पूर्वोत्तर के राज्य में मुख्यमंत्री बनने वाले वह तीसरे नेता होंगे. पूर्वोत्तर के ही भाजपा शासित राज्य मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री भी पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. हेमंत बिस्वा सरमा की बात करें तो जुलाई 2014 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थामा था. तब वह कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री थे और मुख्यमंत्री बनना चाहते थे. उनके साथ करीब 38 विधायक भी थे. लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी मांग नजरअंदाज कर दिया था. तब हेमंत बिस्व सरमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हुए थे. यह भी पढ़ें- Himanta Biswa Sarma Oath Ceremony: असम के नए सीएम होंगे हिमंत बिस्वा सरमा, रविवार दोपहर 12 बजे अपने मंत्रियों के साथ लेंगे शपथ.
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद तो वह मुख्यमंत्री बनने में सफल नहीं हुए, लेकिन इस बार 2021 के विधानसभा चुनाव में उनकी मेहनत को देखते हुए पार्टी ने निवर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. भाजपा शासित राज्य मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी कांग्रेस में रह चुके हैं. वर्ष 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी (डीआरपीपी) कंडिडेट के तौर पर पहला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीरेन सिंह मंत्री बने. वर्ष 2007 में वह कांग्रेस के टिकट पर जीते और फिर सरकार में मंत्री बने.
अक्टूबर, 2016 में बीरेन सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ बगावत करते हुए मणिपुर विधानसभा और कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे. 17 अक्टूबर, 2016 को भाजपा में शामिल होने पर बीरेन सिंह को पार्टी प्रवक्ता और इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का सहसंयोजक बनाया गया. 15 मार्च 2017 को वह अरुणाचल में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने.
अरुणाचल प्रदेश के 41 वर्षीय युवा मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी कांग्रेस में रह चुके हैं. 2010 में कांग्रेस के तवांग जिलाध्यक्ष पद से करियर शुरू करने वाले पेमा खांडू, वर्ष 2011 में पिता की सीट मुक्तो से निर्विरोध विधानसभा चुनाव जीते थे. कांग्रेस सरकार में 37 वर्ष की उम्र में 17 जुलाई 2016 को खांडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नाराजगी के बाद 16 सितंबर 2016 को पेमा खांडू पार्टी के 43 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई.
पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल ने खांडू के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो 31 दिसंबर 2016 को वह पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल के 33 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और सरकार बनाई. 2019 में हुए अरुणाचल प्रदेश विधानसभा की 60 सीटों पर हुए चुनाव में बहुमत हासिल करते हुए 41 सीटों पर जीत दर्ज की. जिसके बाद फिर पेमा खांडू मुख्यमंत्री बने.