इलेक्ट्रिक कारों पर चीन और यूरोपीय संघ का झगड़ा अब एक नए दौर में जा रहा है. चीन ने यूरोपीय संघ के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में शिकायत की है. दोनों के बीच विवाद के कई मुद्दे हैं.चीन की इलेक्ट्रिक कारें अपनी सस्ती कीमतों के कारण यूरोप के कार बाजार पर काले साए की तरह मंडरा रही हैं. चीनी ईवी से बचने के लिए लिए यूरोप ने उन कारों पर शुल्क लगाने का फैसला किया है. कोई सुलह होते ना देखकर चीन ने डब्ल्यूटीओ में अपील की है. बीजिंग में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि चीन ने अब विश्व व्यापार संगठन के विवादों के मामले में सुलह करवाने वाली संस्था में अपील की है. चीन ने इसकी वजह घरेलू ईवी उद्योग के अधिकारों और हितों की रक्षा बताया है.
चीन की शिकायत क्या है
चीन का कहना है कि यूरोपीय संघ के तात्कालिक फैसले का कोई तथ्यात्मक या कानूनी आधार नहीं है. उसका कहना है कि यह फैसला विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ है और वैश्विक सहयोग और जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयासों को नुकसान पहुंचाता है. चीनी सरकार के एक प्रवक्ता ने यूरोपीय संघ से अपनी गलती को फौरन सुधारने और इवी उद्योग में सप्लाई चेन की स्थिरता को सुरक्षित करने की मांग की है.
इस साल जुलाई में यूरोपीय संघ ने चीन की इलेक्ट्रिक कारों पर लगभग 38 प्रतिशत तक अस्थायी शुल्क लगा दिया था. इससे पहले यूरोपीय आयोग ने एक जांच के बाद देखा कि चीन, यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों को अनुचित रूप से नुकसान पहुंचा रहा है. यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने चीन की अपील को देखा है और उन्हें विश्वास है कि उसकी जांच और संघ की ओर से उठाए गए कदम विश्व व्यापार संगठन के अनुकूल हैं.
यूरोपीय आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा है, "ईयू चीन के अनुरोध का सावधानी से अध्ययन कर रहा है और समय आने पर डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया देगा." जेनेवा में डब्ल्यूटीओ की प्रवक्ता इस्माइला डींग ने कहा कि उनके संगठन को चीन का अनुरोध मिला है. डींग ने एक बयान में कहा कि बाकी सूचनाएं चीन के अनुरोध को डब्ल्यूटीओ सदस्यों को देने के बाद मुहैया कराई जाएंगी. चीन का इलेक्ट्रिक कारों पर नया शुल्क यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों की पुष्टि के बाद नवंबर से लागू होगा.
चीन और यूरोपीय संघ में कई विवाद
चीन और यूरोपीय संघ के बीच पिछले समय में व्यापार, तकनीक, मानवाधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा के कई मुद्दों पर विवाद रहा है. लेकिन ब्रसेल्स के सामने अपनी इलेक्ट्रिक कार उद्योग को सुरक्षा देने के अलावा पर्यावरण सम्मत विकास की ओर बढ़ने और चीन से झगड़े को रोकने की चुनौती है. यूरोपीय संघ ने सोलर पैनल, पवन चक्कियां और ट्रेन बनाने वाली कंपनियों को दी जा रही सरकार की सबसिडी पर जांच शुरू की है. इस बीच चीन ने यूरोप से आयात की जाने वाली ब्रांडी और पोर्क की जांच शुरू कर दी है.
चीन का ये झगड़ा सिर्फ यूरोपीय संघ से नहीं बल्कि अमेरिका से भी चल रहा है. अमेरिका ने तो चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर 110 प्रतिशत का शुल्क लगाया है, जबकि कनाडा भी ऐसा ही कदम उठाने पर विचार कर रहा है. इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में चीन का पावरहाउस के रूप में उदय एक ओर उसकी औद्योगिक नीतियों का नतीजा है तो दूसरी ओर चीन सरकार ने रिसर्च और डेवलपमेंट में भारी निवेश के अलावा स्थानीय कंपनियों को बड़ी सबसिडी भी दी है. इसकी वजह से वह यूरोपीय कंपनियों के मुकाबले सस्ती और बेहतर कारें देने की स्थिति में आ गया है. अटलांटिक काउंसिल के मुताबिक चीन के इलेक्ट्रिक कारों की विदेशों में बिक्री 2023 में 70 फीसदी बढ़ी है और वह 34.1 अरब डॉलर हो गई है. इनमें करीब 40 प्रतिशत कारें यूरोपीय देशों में बेची जाती है.
लंबा समय लगेगा सुलह में
विश्व व्यापार संगठन में विवादों को सुलझाने वाले आयोग में मामलों को निबटाने में सालों लग जाते हैं. विवाद में शामिल पक्ष सुलह आयोग के फैसले के खिलाफ अपील भी कर सकते हैं. लेकिन यह व्यवस्था कई सालों से काम नहीं कर रही है क्योंकि अमेरिका नए विशेषज्ञों की नियुक्ति को रोक रहा है. अपने इस कदम के साथ वह डब्ल्यूटीओ पर बड़े सुधार के लिए दबाव डाल रहा है.
अब चीन और यूरोपीय संघ के पास नवंबर तक अपना झगड़ा सुलझाने का समय है. अगर तब तक दोनों के बीच सुलह नहीं होती है तो अगले पांच सालों के लिए अस्थाई शुल्क लागू हो जाएगा. यूरोपीय देशों में खासकर जर्मनी को चिंता है कि चीन के साथ रिश्तों केबिगड़ने का उसके कारोबार पर असर होगी. जर्मनकार उद्योग के लिए चीनी बाजार बहुत मायने रखता है. लेकिन जुलाई में कराए गए एक पोल में ज्यादातर सदस्य देशों ने चीनी ईवी पर ड्यूटी लगाने का समर्थन किया था.
एनआर/एमजे (एएफपी, डीपीए)